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क्या आप भी करते हैं काढ़ा बनाने में ये गलतियां, संभल कर हो सकती हैं ये परेशानियां
नई दिल्ली। ओमिक्रॉन वेरिएंट से निपटने के लिए देश में काढ़ा का इस्तेमाल फिर से बढ़ गया है। वैसे तो काढ़ा का नियमित सेवन इम्यूनिटी बूस्टर माना जाता है लेकिन अगर उसमें सही मात्रा में तत्वों का मिश्रण न किया जाए तो वह फायदे के बजाय नुकसान का भी सबब बन सकता है। आइए जानते हैं कि काढ़ा बनाते समय किन बातों का खास ध्यान रखें।
सूप की तरह पीने योग्य होना चाहिए काढ़ा
आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक काढ़ा न तो ज्यादा गाढ़ा होना चाहिए और न ही पतला बल्कि वह सूप की तरह पीने योग्य होना चाहिए। जरूरी चीजों को मिलाने के बाद उसे तब तक उबालें जब तक पानी की मात्रा आधी न रह जाए। इस प्रकार का काढ़ा श्रेष्ठतम माना जाता है और शरीर को रोगाणुओं से पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करता है।
काढ़ा बनाने में इन चीजों का करें इस्तेमाल
काढ़ा बनाने में लोग अक्सर काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी, अश्वगंधा, गिलोय और सोंठ का इस्तेमाल करते हैं। ये चीजें शरीर को गर्मी प्रदान करती हैं और रोगाणुओं से सुरक्षा देती हैं।
काढ़ा बनाने में जिन चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनकी मात्रा में संतुलन रखें। अगर काढ़ा पीने के बाद परेशानी हो तो दालचीनी, काली मिर्च, अश्वगंधा और सोंठ की मात्रा कम कर दें।
कमजोर पाचन शक्ति वाले न पीएं
जिन लोगों की पाचन शक्ति कमजोर हो, उन्हें काढ़ा ज्यादा पीने से मुंह के छाले, एसिडिटी, पेशाब आने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए अगर उन्हें ऐसी परेशानी महसूस हो तो इसका सेवन कम कर देना चाहिए।
इससे साथ ही काढ़ा ज्यादा पीने या ज्यादा कड़क काढ़ा बनाने से बीपी और नाक से जुड़ी समस्याओं के मरीजों में नाक से खून आ सकता है। पेशाब करते समय उन्हें जलन महसूस हो सकती है। उन्हें हर वक्त खट्टी डकार आने की समस्या हो सकती है.।