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CG हाईकोर्ट में जनहित याचिका, वन विभाग ने स्वीकार की गलती, जानें पूरा मामला

बिलासपुर: तेंदुओं के संरक्षण के लिए लगाई गई जनहित याचिका की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने कहा कि अपने यहां जो वन्यप्राणी हैं उनको तो सुरक्षित करें। उनकी रक्षा करना हमारा धर्म है। कोर्ट के समक्ष वन विभाग ने स्वीकार किया कि जब भी तेंदुए की कोई समस्या आती है तो विभाग बिना चिन्हित किए किसी भी तेंदुए को पकड़ लिया जाता है।
याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि भारत सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार सबसे पहले कौन सा तेंदुआ समस्या है, उसे चिन्हित करना है। उसे पकड़ कर रेडियो कॉलर लगाना है और उसे उसी के रहवास वाले वन में छोड़ना है, न की बहुत दूर। इसका कारण बताया गया कि तेंदुए अपने वन जहां वह रहता है उसके लिए बहुत झुकाव रखते हैं अगर उन्हें दूर छोड़ा जाता है तो वह वापस अपने पुराने रहवास पर लौटेगा। घर से दूर छोड़े जाने पर तेंदुए को मानसिक आघात लगता है। वह वापस अपने जंगल लौटने लगता है तो जंगल के बीच पड़ने वाले गावों में मानव-तेंदुआ द्वन्द बढ़ने की पूरी आशंका रहती है।

याचिकाकर्ता ने बताया कि कांकेर में तेंदुए की समस्या पैदा होने पर बिना चिन्हित किये एक साथ तीन तेंदुए पकड़ लिए गए। एक को जंगल में छोड़ दिया गया, दो को रायपुर लाया गया, जिनमें से एक की मौत सेप्टीसीमिया से हो गई। दूसरे को वापस कांकेर ले जाकर जंगल छोड़ा गया। वन विभाग को मालूम है कि तेंदुए को जब बेहोशी का इंजेक्शन लगाया जाता है तब बेहोशी से बाहर निकलते वक्त छटपटाहट और घबराहट के कारण, पिंजरे में इधर-उधर टकराकर वह खुद को घायल कर लेता है। आंतरिक चोटें लगने से उसे सेप्टीसीमिया हो जाता है जिससे कुछ ही दिनों में उसकी मौत हो जाती है। वन विभाग ने स्वीकार किया कि इस घटना में सेप्टीसीमिया से ही तेंदुए की मौत हुई थी।

याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि भारत सरकार की गाइडलाइंस में अन्य महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, जिनका पालन वन विभाग नहीं कर रहा है। कोर्ट को बताया कि डीएफओ धमतरी ने कई बार मांग की है कि उनके इलाके में प्रे बेस (शाकाहारी जानवर जिन पर मांसाहारी जानवर निर्भर रहते हैं) खत्म हो गया है, वहां पर प्रे-बेस बनाया जावे परन्तु वन विभाग यह कार्य नहीं कर रहा है।
वन विभाग ने कोर्ट में कहा कि भविष्य में विभाग प्रॉब्लम तेंदुए को चिन्हित करने के बाद ही वह पकड़ेगा और रेडियो कॉलर लगाने के बाद छोड़ेगा तथा भारत सरकार की गाइडलाइंस का भी पालन करेगा। कोर्ट ने विभाग को निर्देशित किया कि वह अतिरिक्त शपथ पत्र प्रस्तुत करें।

सिंघवी ने चर्चा में बताया कि छत्तीसगढ़ में 2018 की तुलना में 2022 में किए गए तेंदुओं के संख्या के अनुमान के अनुसार 130 से 175 तेंदुए कम हुए हैं और सबसे ज्यादा तेंदुआ छत्तीसगढ़ के तीनों टाइगर रिजर्व में कम हुए हैं। इंद्रावती टाइगर रिजर्व में 95 प्रतिशत, उदंती सीता नदी में 70 प्रतिशत और अचानकमार टाइगर रिजर्व में 11 प्रतिशत तेंदुए कम हुए हैं।