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बोधघाट परियोजना मुख्यमंत्री का राजनीतिक स्टंट और अपनों को उपकृत करने का रास्ता : केदार कश्यप


जगदलपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि पूर्व में मुख्यमंत्री ने बोधघाट परियोजना को 22 हजार करोड़ की योजना तथा सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था।


सरकार ने बस्तर से लेकर राजधानी में बड़े-बड़े पोस्टर लगाकर खेती का रकबा बढ़ाने का दावा किया था। इस परियोजना को एक महान परिवर्तनकारी योजना की तरह प्रचारित करने की कोशिश शुरु कर हर दिन औसतन 44 लाख रुपये विज्ञापनों पर खर्च करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने मीडिया में विज्ञापन जारी करने का सिलसिला शुरु किया और रातों-रात चौक-चौराहों पर इस परियोजना के होर्डिंग लगा कर परियोजना के लाभ गिनाने वाली किताबें छापी और बांटी गईं थीं । बस्तर के विधायकों की बैठक भी की गई, लेकिन अब जब सरकार के साढ़े तीन साल बीत गए हैं। मुख्यमंत्री बस्तर प्रवास में कहते हैं की हम जनता की राय जानकर इस परियोजना में अंतिम फ़ैसला करेंगे।


जब तक बस्तर के लोग सहमत नहीं होंगे, बोधघाट परियोजना प्रारंभ नहीं की जाएगी। केदार कश्यप ने कहा है कि विधानसभा में विभाग के मंत्री रवीन्द्र चौबे बताते हैं कि इस परियोजना की DPR बनाने के लिए 41.54 करोड़ रुपया ख़र्च किए जा रहे हैं ,जिसे फ़रवरी तक बनकर तैयार हो जाना था ,परंतु ख़ास बात ये है कि पैसे तो सैंगशन कर खर्च किये गये परंतु DPR आज दिनांक तक नहीं बन पाया है।


प्रवक्ता केदार कश्यप ने कहा है इससे यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बोधघाट परियोजना महज़ एक राजनीतिक स्टंट है ,और इसके पीछे जनता की गाढ़ी कमाई को ख़र्च करने ,अपनो को उपकृत करने की ही मंशा है ! प्रश्न यह है कि जब यह सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है ,22 हज़ार करोड़ की योजना बतायी गई है, 42 करोड़ रुपया DPR में, करोड़ों रू विज्ञापन और होर्डिंगों में बतौर भ्रष्टाचार ख़र्च किए गये और अंत में जनता का बहाना करके मुख्यमंत्री क्यों भ्रष्टाचार और राजनैतिक नाटक कर रहे हैं।