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Eris Variant: ब्रिटेन और अमेरिका में फैल रहा कोरोना, क्या भारत में जल्द बढ़ेंगे केस? एक्सपर्ट्स से जानें
कोरोना महामारी को आए तीन साल से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन ये वायरस अभी भी खतरा बना हुआ है. हर कुछ महीनों बाद दुनिया के किसी न किसी देश में कोरोना के केस बढ़ने लगते हैं. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है.
अमेरिका और ब्रिटेन में कोविड का ग्राफ चढ़ने लगा है. अमेरिका में तीन हफ्तों से और ब्रिटेन में दो हफ्तों से वायरस के मामलों में उछाल आ रहा है. ब्रिटेन में कोरोना का नया वेरिएंट एरिस रिपोर्ट किया गया है. इसको ईजी.5.1 नाम दिया गया है. कोविड के कुल संक्रमितों में चार से पांच फीसदी मरीजों में यह वेरिएंट ही मिल रहा है. डब्ल्यूएचओ ने दो हफ्ते पहले एरिस वेरिएंट पर नजर रखना शुरू कर दिया था. WHO ने कहा है कि एरिस वेरिएंट की निगरानी की जा रही है. इस बीच लोगों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है.
कोरोना वायरस के जीन में हो रहे म्यूटेशन को देखते हुए नए वेरिएंट का नाम एरिस रखा गया है. लेकिन जिस हिसाब से ब्रिटेन में वायरस के मामले बढ़ रहे हैं इससे खतरा बढ़ता दिख रहा है. चिंता की बात यह है कि केवल ब्रिटेन में ही नहीं बल्कि अमेरिका में भी कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. ब्रिटेन में युवा आबादी में भी कोविड की वजह से हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ रहा है. जबकि पहले देखा गया था कि बुजुर्ग और कमजोर इम्यूनिटी वालों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में रिस्क हो सकता है. इस बीच अब सवाल भी उठता है कि क्या भारत में भी नए वेरिएंट से खतरा हो सकता है? आइए इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं.
कोविड के मामलों पर नजर रखनी होगी
एम्स नई दिल्ली में क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह TV9 से बातचीत में बताते हैं कि WHO ने साल 2021 में 24 नवंबर को ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान की थी. उस दौरान इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न माना था. तब से अब तक इसी ओमिक्रॉन वेरिएंट के अलग-अलग सब वेरिएंट सामने आ रहे थे. ओमिक्रॉन के 10 से अधिक सब वेरिएंट आए थे, लेकिन किसी की वजह से हॉस्पिटलाइजेशन और मौतों के आंकड़े नहीं बढ़े थे. इस बार एरिस वेरिएंट आया है. इसके कारण ब्रिटेन में कोविड फिर से फैल रहा है. युवा आबादी इस वेरिएंट की चपेट में आ रही है. हॉस्पिटलाइजेशन भी बढ़ रहा है. ऐसे में सर्तक रहने की जरूरत है.
डॉ सिंह कहते हैं कि अभी यह देखना होगा कि ब्रिटेन में एरिस वेरिएंट के केस कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं .अगर मामलों में तेजी ज्यादा है और लगातार ग्राफ बढ़ रहा है तो ये चिंता का कारण हो सकता है. WHO को ये भी देखना होगा कि इस वेरिएंट के कारण हॉस्पिटलाइजेशन में कितना इजाफा हो रहा है. अगर अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो विश्व स्तर पर खतरा बढ़ सकता है.
क्या भारत में है खतरा
डॉ सिंह कहते हैं कि भारत को भी एरिस वेरिएंट पर नजर रखनी होगी. ब्रिटेन से आ रहे यात्रियों की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग बढ़ाने की जरूरत है. फिलहाल सतर्क रहना होगा. अगर यहां इस एरिस वेरिएंट का कोई केस आता है तो सर्विलांस बढ़ाना होगा, लेकिन अभी यहां खतरे वाली कोई बात नहीं है. जरूरी ये है कि ब्रिटेन में नए वेरिएंट की क्या स्थिति है उसपर नजर रखी जाए. उस हिसाब से ही यहां क्रोविड प्रोटोकॉल को निर्धारित करें.
खत्म नहीं होगा कोरोना
राजीव गांधी हॉस्पिटल में डॉ. अजित कुमार बताते हैं कि भले ही WHO ने कोरोना को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी अब नहीं माना है, लेकिन ये बीमारी खत्म नहीं हुई है. अभी भी इसके केस आ रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे. लेकिन कोविड की वजह से ऐसा खतरा होने की आशंका नहीं है जो हमने बीते सालों में देखा है.
डॉ कुमार का कहना है अभी मरीजो में कोई नए लक्षण सामने नहीं आए हैं. मरीजों को बुखार और सिरदर्द की समस्या है, सांस लेने में परेशानी के मामले नहीं आ रहे हैं. ऐसे में अभी खतरे वाली बात नहीं है. लेकिन नए वेरिएंट पर नजर रखनी होगी.