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वकीलों में आक्रोश, पुरानी इमारत में चल रहे कोर्ट में बन्दर मचाते हैं धमा चौकड़ी
राजा महाराजाओं द्वारा बनाए गए किले और अन्य भवन आज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गए हैं। धौलपुर रियासत की ऐसी ही एक इमारत शहर का पुराना किला द्वार है, जिससे संलग्न भवन में न्यायालय परिसर और अन्य प्रशासनिक कार्यालय लंबे समय से संचालित हो रहे हैं। 400 साल पुरानी इस इमारत में जब बंदर चौकड़ी बनाते हैं तो कभी बालकनी टूटती है तो कभी रेलिंग। ऐसे में जब बंदरों ने इमारत की बालकनी तोड़ दी और उसके टुकड़े वकीलों के प्रैक्टिस रूम तक गिरे तो वकील नाराज हो गए. गुस्साए वक्ताओं ने पूरे मामले से मीडिया को अवगत कराकर अपना विरोध जताया है और कोर्ट को अनंत को ट्रांसफर करने की मांग की है. वरिष्ठ अधिवक्ता राधेश्याम उपाध्याय ने बताया कि जिस परिसर में कोर्ट चल रहा है. इसका पथ लगभग 400 वर्ष पुराना है, जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है। इस इमारत को पीडब्ल्यूडी ने कंडोम घोषित कर दिया है लेकिन अभी भी सरकार की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
ऐसे में अगर हवा थोड़ी भी चलती है तो इमारत से पत्थर गिरते हैं और जब बंदर चौकड़ी करते हैं तो छज्जा और रेलिंग टूट जाती है. अदालत के अधिवक्ता शौकत अली खान ने अदालत परिसर को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की मांग की है, जिसे अधिवक्ता अपनी जान जोखिम में डालकर अभ्यास न करें क्योंकि यहां हमेशा इमारत गिरने का खतरा बना रहता है. मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता रामबाबू कुलश्रेष्ठ ने जर्जर भवन में चल रही अदालत को तबादला करने की मांग की है. अनुमंडल मुख्यालय के इस जर्जर भवन के अंदर जहां अनुमंडल पदाधिकारी का कार्यालय है। वहीं, एमजेएम कोर्ट के साथ एसीजेएम कोर्ट नंबर 1, 2, 3 भी स्थित हैं। जिसमें दर्जनों वकील न्यायिक अधिकारियों और उनके कर्मचारियों के साथ काम करते हैं। एक ही तारीख और पेशी पर हर दिन सैकड़ों लोग कोर्ट के अंदर आते-जाते रहते हैं.