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परीक्षाएं सिर पर, स्कूली बच्चे एबीवीपी का झंडा लेकर सड़क पर

परीक्षाएं सिर पर, स्कूली बच्चे एबीवीपी का झंडा लेकर सड़क पर

अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो उम्मीद करते हैं कि स्कूल प्रबंधन अच्छी शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन भी सिखाएगा। रायगढ़ में ऐसे कई स्कूल हैं जिन्होंने छात्र-छात्राओं को वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी कराने के बजाय बिना एक राजनीतिक रैली में भेज दिया। भाजपा के युवा विंग एबीवीपी के एक छात्रनेता ने तिरंगा यात्रा रैली का आयोजन किया था। इसमें करीब आधा दर्जन स्कूलों के बच्चों ने धार्मिक नारे भी लगाए।

स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा और अनुशासन के लिए भेजा जाता है, लेकिन स्कूल ही जब अनुशासनहीन हो जाएं तो क्या करें। शुक्रवार को एबीवीपी की तिरंगा यात्रा में कई स्कूलों ने छात्र-छात्राओं को भेज दिया। राजनीतिक कार्यक्रम में एबीवीपी का झंडा थामे सारे बच्चे स्कूल यूनीफॉर्म में थे। तिरंगा से ज्यादा एबीवीपी का भगवा झंडा सबके हाथ में था। विवेकानंद स्कूल, संत माइकल, चक्रधर नगर स्कूल, नटवर स्कूल, पुत्री शाला, कार्मेल स्कूल के बच्चे रैली में दिखे थे। एबीवीपी के जिला सह संयोजक सौरभ नामदेव ने विवेकानंद जयंती पर तिरंगा रैली निकालने की अनुमति एसडीएम से ली थी। आवेदन में कहीं भी नहीं बताया गया था कि स्कूलों के बच्चे भी शामिल होंगे।

शुक्रवार को नटवर स्कूल से रैली निकली और स्टेशन चौक, सुभाष चौक, हटरी चौक, गांजा चौक, सोनारपारा, चांदनी चौक, पैलेस रोड, गौरीशंकर मंदिर, गोपी टॉकीज रोड, शहीद चौक होते हुए पॉलीटेक्निक कॉलेज ऑडिटोरियम में खत्म हुई। रैली में स्कूली बच्चों के हाथ में एबीवीपी का झंडा पकड़ा दिया गया था। डीजे में एबीवीपी का थीम सॉन्ग बज रहा था। रैली में एबीवीपी के समर्थक युवक गिनती के थे। रैली में स्कूलों के ही बच्चे थे।

संवेदनशील इलाके में लगे धार्मिक नारे

रैली के लिए जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया था। शुक्रवार को ही वित्त मंत्री ओपी चौधरी भी शहर में थे। एबीवीपी की रैली कई संवेदनशील क्षेत्रों से भी होकर गुजरी। इस दौरान स्कूल के छात्र-छात्राओं ने जमकर धार्मिक नारे लगाए। इन नारों को लगाने के लिए सौरभ नामदेव और उसके सहयोगियों ने माइक से उत्साह भी बढ़ाया। अगर कोई घटना हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता। कई इलाकों में ट्रैफिक भी बाधित हुआ। सीएसपी ने एसडीएम को जो अभिमत दिया है उसमें कहा गया है कि हॉस्पिटल के 100 मीटर की परिधि में साउंड एम्प्लीफायर का उपयोग प्रतिबंधित होगा। रैली तो जिला अस्पताल से नजदीक से डीजे बजाते हुए निकली।

हैरानी इस बात की है कि इतने सारे स्कूलों के प्राचार्यों ने बच्चों को जाने की अनुमति कैसे दी। इस तरह के राजनीतिक संगठन की रैली में नाबालिग छात्र-छात्राओं से धार्मिक नारे भी लगवाए गए। स्कूलों के लिए इस संबंध में सख्त नियम हैं। कई स्कूलों के टीचर भी रैली में नजर आए। जिला शिक्षा अधिकारी से कोई अनुमति या अभिमत नहीं लिया गया। दिलचस्प बात यह है कि डीईओ खुद इस बात से अनजान दिखे। उनको भी नहीं मालूम कि क्या कार्रवाई हो सकती है।


बी.बाखला जिला शिक्षा अधिकारी कहते हैं कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। प्राचार्यों को देखना चाहिए कि किस तरह का आयोजन है।

वही एसडीएम गगन शर्मा का कहना है कि हमसे केवल तिरंगा रैली की अनुमति ली गई थी। स्कूली बच्चों के शामिल होने की कोई जानकारी नहीं दी गई। अगर ऐसा हुआ है तो गलत है।