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रायपुर एम्स द्वारा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने लिए आज से एम्स में न्यूरो के 10 बैड की ओपीडी शुरू...

 रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के लिए अच्छी खबर है। कोरोना के मामले कम होने के बाद अब एम्स में सोमवार से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए ये  चालू की है। इसे आयुष ब्लॉक स्थित पीएमआर विभाग में शुरू की गई है। जिसमें नसों से संबंधी रोगों से पीडित मरीजो लकवा, सेरीब्रल पाल्सी, न्यूरोजेनिक, न्यूरल ट्रोमा, ब्रेन स्ट्रोक और दिव्यांग के लिये 10 बैड की नई ओपीडी प्रारंभ की गयी। इससे विभिन्न रोगियों को अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त ओपीडी की मदद से पुनर्वास में सहायता दी जाएगी।


नई सुविधा का उद्घाटन करने के बाद निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि इससे पीएमआर के रोगियों जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। अत्याधुनिक सुविधाएं होने से रोगियों को यहीं एडमिट होकर पुनर्वास में मदद मिल सकेगी। उन्होंने विकलांगों के पुनर्वास में पीएमआर विभाग के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि किसी दुर्घटना के बाद विकलांग रोगी भी सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन यापन कर सकते हैं। उन्हें विशेषज्ञों के निर्देशन की आवश्यकता होती है। पीएमआर विभागाध्यक्ष डॉ. जयदीप नंदी का कहना था कि नई सुविधा की मदद से ओपीडी के रोगियों को और अधिक विशेषज्ञ चिकित्सा प्राप्त हो सकेगी, जिससे उनके पुनर्वास में भी मदद मिलेगी।


इस अवसर पर ब्रेन इंजरी और इसके उपचार एवं प्रबंधन पर आयोजित सीएमई में देशभर के चिकित्सकों ने विभिन्न विषयों पर अपने अनुभव साझा किए। प्रो. नागरकर का कहना था कि दुनियाभर में ट्रोमा के कारण होने वाली ब्रेन इंजरी मृत्यु का एक बड़ा कारण बन रही है। अकेले भारत में प्रतिवर्ष 16 लाख केस आते हैं इनमें से 10 लाख को को पुनर्वास की आवश्यकता होती है। इन केसों के 60 प्रतिशत रोड एक्सीडेंट के होते हैं। उन्होंने कहा कि नई तकनीक जिसमें रोबोटिक्स भी शामिल है, कि मदद से इन रोगियों के पुनर्वास में अहम योगदान दिया जा सकता है।

दिल्ली एम्स के डॉ. एस.एल. यादव ने कहा कि ब्रेन इंजरी के बाद याददाश्त और किसी विषय पर स्वयं को केंद्रित करने में चुनौती आती है। इसके लिए समय पर इस बीमारी का प्रबंधन आवश्यक होता है। केजीएमयू, लखनऊ के प्रो. अनिल कुमार गुप्ता का कहना था कि ब्रेन इंजरी में रोगियों के बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता होती है। कई बार अन्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करने की वजह से ब्रेन इंजरी से कुछ चुनौतियां उत्पन्न हो जाती हैं। इनका समय पर समाधान आवश्यक है।

इनके अतिरिक्त निम्हांस, बंगलौर के डॉ. अनुपम गुप्ता, मुंबई से डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, कोलकाता से डॉ. कौस्तुभ चक्रवर्ती और बंगलौर से डॉ. नवीन बीपी ने भी विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए। सीएमई के आयोजन में डॉ. रौनक कुमार, डॉ. आराधना शुक्ला, डॉ. सुशील कुमार नायक, डॉ. अनुश्री अक्षय और डॉ. लख्या आर ने योगदान दिया।