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प्रदेश में महार, मेहर, और मेहरा जाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश जारी , देखे पूरी रिपोर्ट

राज्य सरकार ने प्रदेश के महार, मेहर, मेहरा जाति के लोगों को नियमानुसार जाति प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश जारी किए हैं। उच्च न्यायालय ने तीन साल पहले एक अंतरिम आदेश में इन जातियों के लिए अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी। न्यायालय से राहत मिलने के बाद राज्य सरकार ने यह प्रक्रिया फिर से शुरू की है।

सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से कलेक्टर्स को जारी निर्देशों में कहा गया है, राष्ट्रपति की अधिसूचना-1950 में छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अनुसूचित जाति के सरल क्रमांक 33 में अधिसूचित महार, मेहर, मेहरा जाति का उल्लेख है। सामान्य प्रशासन विभाग ने 27 मार्च 2018 को जारी अपने पत्र के संदर्भ में यह स्पष्ट किया है कि महार, मेहर, मेहरा लोगों को जाति प्रमाण पत्र नियमानुसार जारी किए जाएं।

सामान्य प्रशासन विभाग ने कलेक्टर्स को जारी अपने पत्र में यह स्पष्ट किया है कि उच्च न्यायालय बिलासपुर में दायर याचिका के संबंध में 20 मार्च 2018 को पारित अंतरिम आदेश के परिपालन में महार, मेहर, महरा जाति का प्रमाण पत्र आगामी आदेश पर्यन्त जारी न किए जाने के निर्देश दिए थे।

लोगों की दिक्कतें बढ़ी तो होने लगी शिकायत

पिछले तीन सालों से इस समुदाय का जाति प्रमाणपत्र जारी नहीं होने से लोगों की परेशानी बढ़ने लगी थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक भी इसकी शिकायत पहुंच रही थी। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों सामान्य प्रशासन विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। महरा समाज बस्तर में काफी बड़ा है। उनके संगठनों ने राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक अपनी मांग पहुंचाई।

माहरा समाज ने दायर की है याचिका

एक समान उच्चारण वाली जातियों को लेकर यह विवाद खड़ा हुआ था। काफी दिनों तक मात्रात्मक त्रुटि का विवाद रहा। बाद में सरकार ने महरा, माहरा, महारा, माहारा जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र देना शुरू किया। लेकिन बस्तर क्षेत्र की माहरा जाति का दावा है कि वे आदिवासी हैं। ऐसे में उनको महरा समाज की तरह अनुसूचित जाति में शामिल न किया जाए। राज्य स्तर पर मांग पूरी नहीं हो पाई तो समाज ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की।