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दो पत्नियों के बीच फंसा पति, परिवार परामर्श केंद्र ने पति किया आनोखा बंटवारा, दोनो पत्नियों की बनी सहमती..
पूर्णिया. आपने संपत्ति, जमीन, घर आदि के बंटवारे के बारे में सुना होगा. संभव है कि आप इन परिस्थितियों से गुजरे भी होंगे, लेकिन आपने कभी पति के बंटवारे के बारे में सुना है? जी हां पति का बंटवारा! बिहार में पति का 2 पत्नियों के बीच बंटवारा करने का दिलचस्प लेकिन चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यह फैसला किसी पंचायत या आपसी सहमति से नहीं किया गया है, बल्कि पूर्णिया पुलिस परिवार परामर्श केंद्र ने यह व्यवस्था दी है. पूर्णिया पुलिस के परिवार परामर्श केंद्र ने पति को 15 दिन पहली पत्नी और महीने के आखिरी 15 दिन दूसरी पत्नी के साथ रहने का निर्देश दिया है. परिवार परमार्श केंद्र के इस फैसले की चहुंओर चर्चा हो रही है. आपने बॉलीवुड फिल्मों में एक पति की दो पत्नियों पर आधारित कई फिल्में देखी होंगी, लेकिन यह सच्ची कहानी है.
दरअसल, पूर्णिया में पारिवारिक विवादों का समाधान करने के लिए बने पुलिस परिवार परामर्श केंद्र ने शुक्रवार को पति का दो पत्नियों के बीच बंटवारा करने का अनोखा फैसला दिया है. इस व्यवस्था के बाद अब पति को दो पत्नियों के साथ हर महीने 15-15 दिन रहना होगा. जानकारी के अनुसार, भवानीपुर थाना के गोडियारी निवासी एक महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि वह पहले से शादीशुदा होने के साथ 6 बच्चों का पिता भी हैं. महिला ने शख्स पर बरगला कर दूसरी शादी करने का आरोप लगाया था. उनका कहना है कि अब उनका पति उन्हें साथ नहीं रखना चाहता है.
परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य दिलीप कुमार दीपक ने बताया कि इस बात को सुनकर पुलिस परिवार परामर्श केंद्र भी कुछ देर के लिए असमंजस में पड़ गया कि अब क्या किया जाए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के सदस्यों ने फैसला दिया कि पति को दोनों पत्नियों को रखना होगा. साथ ही उनका भरण-पोषण भी करना होगा. परमार्श केंद्र ने इसके साथ ही दोनों को अलग-अलग घरों में रखने का भी निर्देश दिया. परिवार परमार्श केंद्र ने व्यवस्था दी कि पति 15 दिन पहली बीवी के साथ गुजारेगा तो अगला 15 दिन दूसरी बीवी के साथ रहेगा. इस फैसले से पति और दोनों पत्नियां सहमत हो गईं और खुशी-खुशी अपने-अपने घर चली गईं. पुलिस परिवार परामर्श केंद्र की संयोजिका किरण बाला, सदस्य दिलीप कुमार दीपक, स्वाति, रविंद्र शाह, बबीता चौधरी, जीनत रहमान और प्रमोद जायसवाल ने काफी विचार-विमर्श और दोनों पत्नियों और पति की सहमति के बाद यह व्यवस्था दी. इस बाबत तीनों से बॉन्ड भी भरवाया गया, ताकि बाद में कोई इस व्यवस्था मुकर न सके.