सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर की याचिका पर केंद्र सरकार के जावब को लेकर लगाई फटकार, अपराधी ने 2027 में रिहाई की मांग
कुख्यात अपराधी अबु सलेम ने अपने रिहाई के लिए सुप्रिम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका को लेकर क्रेन्द्र सरकार के सुप्रिम कोर्ट ने फटकार लगाई है। सलेम ने कहां पुर्तगाल प्रत्यर्पण तय समझौतो के मुताबिक उसे 25 साल से अधिक की सजा नही दी जा सकती है।इसलिए उम्रकैद की चुनौती देते हुए कहा की 2027 में रिहा करने करने की बात कही है। कोर्ट ने कहा है कि 5 मई को मामला विस्तार से सुना जाएगा ।
इस मामले को लेकर केन्द्र सरकार की तरफ से केंद्रिय गृह सचिव अजय भल्ला ने सलेम की तरफ से रिहाई की याचिक सलेम बात करना गैरजरुरी है इसका जवाब देते हुए केंद्र ने कहा था कि सलेम की रिहाई पर विचार करने का समय 2027 में नहीं, 2030 में आएगा. कि सुप्रीम कोर्ट सलेम की अपील को सुनते हुए सिर्फ दोनों केस के तथ्यों को देखे. भारत सरकार और पुर्तगाल सरकार के बीच हुए प्रत्यर्पण समझौते का पालन सरकार पर छोड़ दिया जाए. इस पर जस्टिस संजय किशन और एम एम सुंदरेश की बैच ने कहां की अपीलकर्ता को अपने पक्ष में कोर्ट में रखने का अधिकार है सरकार यह नहीं कह सकती कि कोर्ट किस बात को सुने, किसे नहीं.
कुख्यात अपराधी अबु सलेम ने दावा किया है कि भारत में उसकी कैद 2027 से ज़्यादा तक नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी को इस पर सीबीआई, केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से इस पर जवाब मांगा था. सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत सरकार ने 2002 में पुर्तगाल सरकार से यह वादा किया था कि उसे न तो फांसी की सज़ा दी जाएगी, न ही किसी भी केस में 25 साल से अधिक कैद की सज़ा होगी. लेकिन मुंबई के विशेष टाडा कोर्ट से उसे 1993 मुंबई बम ब्लास्ट समेत 2 मामलों में उम्रकैद की सज़ा दी है.