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कश्मीर में नहीं थम रही टारगेट किलिंग, घाटी में इस साल 18 से अधिक लोगों का मर्डर; देखें लिस्ट

जम्मू-कश्मीर में आज यानी शुक्रवार की सुबह फिर एक टारगेट किलिंग की घटना को आतंकवादियों ने अंजाम दिया है। बांदीपोरा जिले में आतंकवादियों द्वारा मोहम्मद अमरेज नाम के एक प्रावासी मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बाद में उसने दम तोड़ दिया। अमरेज बिहार के मधेपुरा का रहने वाला था। पिछले तीन महीने से कश्मीर में रह रहा था। कश्मीर पुलिस जोन ने ट्वीट कर हत्या की जानकारी दी है। हाल के दिनों में सुरक्षाबलों ने अपनी आक्रामक कार्रवाई से आतंकियों के तवर पस्त किए थे, लेकिन दहशतगर्द फिर से सिर उठाने लगे हैं। निर्दोष लोगों की हत्या कर घाटी में डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।


कश्मीर घाटी में इस साल जनवरी से अब तक पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और सरपंचों सहित कम से कम 18 से आधिक टारगेट किलिंग हुई हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने हाल ही में कहा थि अल्पसंख्यकों, नागरिकों और सरकार में लोगों को निशाना बनाने वाले केवल डर का प्रचार कर रहे हैं। उनका कहना था कि ये हत्याएं इसलिए हो रही हैं, क्योंकि स्थानीय निवासियों ने उनके फरमान को मानना बंद कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा था कि घाटी के विभिन्न हिस्सों और समाज के विभिन्न वर्गों के सदस्यों पर हमला करके आतंकवादी अपनी उपस्थिति दिखाना चाहते हैं।




>> आर्टिकल 370 हटने की तीसरी बरसी से पहले यानी चार अगस्त को पुलवामा के गदूरा इलाके में आतंकियों के ग्रेनेड से हमला किया। इस हमले में एक प्रवासी मजदूर की जान चली गई। इस हमले में दो मजदूर घायल भी हुए थे। मारे गए मजदूर की पहचान मोहम्मद मुमताज के रूप में हुई थी जो कि बिहार के सकवा परसा का रहने वाला था।


>> इसी साल जुलाई महीने में जम्मू-कश्मीर के व्यस्ततम इलाके लाल बाजार के पुलिस की नाका पार्टी पर आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला बोल दिया था। इस हमले में एक एएसआई मुश्ताक अहमद शहीद हो गए थे। जबकि दो अन्य घायल भी हुए थे।


>> टारगेट किलिंग का सिलसिला फरवरी 2021 के बाद तेज हो गए। श्रीनगर में कृष्णा ढाबा के मालिक के बेटे को उसके रेस्तरां के अंदर गोली मार दी गई थी। गोली लगने के दो दिन बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।



>> 5 अक्टूबर 2021 को प्रमुख केमिस्ट एमएल बिंदू की उनकी दुकान में हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के बाद राजनीतिक दलों और आम लोगों के बीच आक्रोश बढ़ गया।


>> इस घटना के ठीक दो दिन बाद गवर्नमेंट बॉयज़ हायर सेकेंडरी स्कूल, संगम के प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और स्कूल के शिक्षक दीपक चंद को हमलावरों ने गोली मार दी थी। आपको यह भी बता दें कि पिछले साल घाटी में 182 आतंकवादी और कम से कम 35 नागरिक मारे गए थे।


>> 2022 में इसकी शुरुआत तीन सरपंचों समेत पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों की गोली मारकर हत्या से हुई थी। साथ ही 4 अप्रैल को कश्मीरी पंडित समुदाय से आने वाले बाल कृष्ण की चौतीगाम (शोपियां) में उनके घर के पास संदिग्ध आतंकियों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद कम से कम तीन मामलों में जम्मू-कश्मीर के बाहर के मजदूरों को गोली मारकर घायल कर दिया गया।



>> जम्मू-कश्मीर के राजस्व विभाग के एक कश्मीरी पंडित कर्मचारी, जो पीएम पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे थे, को चदूरा, बडगाम में उनके कार्यालय के अंदर गोली मार दी गई थी। कश्मीरी पंडितों ने इस घटना व्यापक विरोध किया था।


>> 25 मई को एक कश्मीरी टीवी कलाकार को उसके घर के अंदर कई बार गोली मारी गई थी।


>> सांबा की एक शिक्षिका रजनी बाला की भी हत्या कर दी गई थी। आतंकवादियों ने कुलगाम के एक स्कूल में काम करने के लिए उस पर हमला किया था।