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मंदिर में टेका माथा, फिर निकली बारात…रूसी कपल ने हरिद्वार में वैदिक रीति-रिवाज से रचाई शादी, PHOTOS

रिद्वार के अखंड परमधाम आश्रम में रूस के तीन जोड़ों ने भारतीय विधि-विधान के साथ विवाह किया. उनकी शादी चर्चा का विषय बनी हुई. सोशल मीडिया पर उनके वीडियोज और फोटोज वायरल हो रहे हैं.

बताया जा रहा है कि ये जोड़े मुस्लिम और क्रिश्चियन धर्म से जुड़े हुए हैं. मगर सनातन में आस्था रखते हैं. इसीलिए इन्होंने वैदिक विधि-विधान के साथ अपना विवाह सम्पन्न करवाया.

हालांकि, इनमें से दो जोड़े पहले से शादीशुदा हैं लेकिन सनातन धर्म में आस्था के चलते उन्होंने फिर से वैदिक रीति से विवाह किया है. वहीं, एक जोड़ा अविवाहित था जिसने अब शादी रचाई है. वो भी वैदिक परंपरा के अनुसार.

मंदिर में टेका माथा फिर निकली बारात

श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य स्वामी परमानंद सरस्वती के सानिध्य में हुए विवाह से पूर्व जोड़ों के रशियन मित्रों ने बारात निकाली. जिसमें रूस से आए इनके साथियों ने जमकर डांस किया. विवाह बंधन में बंधे जोड़े भी इस डांस में शरीक हुए. इससे पूर्व तीनो जोड़ों ने मंदिर में माथा टेककर भगवान का और बाद में स्वामी परमानंद का आशीर्वाद लिया.

 बारात में नाचते रूसी लोग

बारात का स्वागत महामंडलेश्वर परमानंद महाराज ने फूल बरसाकर किया. रूसी जोड़ों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाकर विवाह की तमाम रस्में निभाईं. हालांकि, पितृपक्ष में कराए गए इस वैवाहिक समारोह पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं, क्योकि ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में शुभ कार्य नही होते हैं.

40 रूसी नागरिकों का दल भारत आया

बता दें कि 40 रूसी नागरिकों का एक दल इन दिनों भारत भ्रमण पर है. यह दल वेद वेदांत समागम में प्रतिभाग करने के लिए आश्रम आया हुआ है. इसी दल के तीन जोड़ों ने वैदिक परंपरा के मुताबिक शादी रचाई है. फोटोज में देखा जा सकता है कि कैसे दुल्हन लाल जोड़े में नजर आ रही हैं. वहीं, दूल्हों ने भी परंपरागत ड्रेस पहन रखी है.

 भारतीय विधि-विधान के साथ विवाह

इस पूरा मसले पर महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरी ने कहा- यह आज की सच्चाई है कि रूस और दूसरे देशों के लोग भारत में आकर अध्यात्म सीख रहे हैं. यहां की रीति-रिवाज से शादी कर रहे हैं. यह सब देख लोगों को आश्चर्य तो होगा ही. आखिर जिस देश में नास्तिकता है वहां के लोग हमारे धर्म की पद्धति से यहां शादी करने आए हैं. योग, ध्यान सीख रहे हैं. साधना कर रहे हैं. ये सब अपने आप में बड़ी बात है. हमने जोड़ों को सुखी जीवन जीने का मंत्र दिया है.

वहीं, स्वामी ज्योतिर्मयानंद का कहना है कि आज वैदिक परंपरा से प्रभावित होकर दूर-दूर से लोग हमारे पास आ रहे हैं. हमारे गुरुदेव रूस जाते रहते हैं. उनकी विद्या से प्रभावित होकर लोग भारत आ रहे हैं. गुरुदेव के 40 हजार से अधिक शिष्य रूस में हैं. 22 से अधिक सेंटर वहां पर योग के संचालित हो रहे हैं.

उधर, रूसी जोड़ों के दोस्तों ने कहा कि यह सब बहुत ही सुंदर है. इस तरह से शादी होते उन्होंने पहली बार देखा है. बेहद अच्छा अनुभव रहा. हम भारतीय संस्कृति को समझ रहे हैं और उसे एन्जॉय कर रहे हैं. यहां के लोग खुशमिजाज हैं और मिलनसार हैं.