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हथिनी रूपा की स्टोरी, जानकर रह जाएंगे हैरान

डूंगरपुर: उत्तर प्रदेश से अवैध रूप से हथिनी (मादा हाथी) को लाने वाले गिरफ्तार दो महावतों को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया। इन महावतों से बरामद की गई हथिनी रूपा वन विभाग की नर्सरी में सजा काट रही है। महावतों की गिरफ्तारी के बाद देखरेख के लिए हथिनी को वन विभाग को ही सौंपा था। अब हथिनी रूपा बीमार है और उसके शरीर पर जगह-जगह घाव हो गए हैं। डूंगरपुर सीमलवाड़ा के क्षेत्रीय वन अधिकारी हरीशचंद्र बायड़ी ने मुखबिर की सूचना पर बांसिया के पास 18 नवंबर को एक हथिनी के साथ दो महावतों को गिरफ्तार किया था। मुखबिर ने बिना अनुज्ञा पत्र एवं स्वीकृति के सड़क मार्ग से हाथी विचरण करने की सूचना दी थी। इस पर वन विभाग की टीम में शामिल संजेश पाटीदार, सुरेश कुमार, करण सिंह गुर्जर, प्रकाश, शंकर रोत ने हथिनी व उसके दोनों महावतों को तलाश करने के बाद पकड़ लिया। टीम के सदस्यों ने महावतों से पूछताछ की तो हाथी को विचरण कराने संबंधित अनुज्ञा पत्र व सक्षम अधिकारी की स्वीकृति और किसी प्रकार वैद्य दस्तावेज उनके पास नहीं था।


गिरफ्तारी के बाद जेल और अब जमानत: वन विभाग के अधिकारियों ने समस्तीपुर बिहार निवासी मुकट पुत्र भगवान सिंह व फूल सिंह पुत्र मिश्री यादव को गिरफ्तार किया गया। इनके खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार धारा 39, 40, 44, 48ए, 49ए व 51 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया। दोनों आरोपियों को डूंगरपुर अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों महावतों को को जेल भेज दिया था। वहीं मादा हाथी की देखरेख व रखरखाव वन विभाग को सौंपी है। तीन महीने बाद इन महावतों की जमानत हो गई, लेकिन हथिनी अब भी वन विभाग के पास है, जो अब बीमार हो रही है।


पालतू हाथी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। नंबर प्लेट की तरह इनकी चिप होती है जिसमें पूरी जानकारी होती है। अनुसंधान में मालूम हुआ कि इस हथिनी पर भी एक चिप मिली है। इसके मुताबिक वो चिप जिस हाथी की है, उसकी मौत हो चुकी है। महावतों से प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक एक हाथी हमीरपुर के एक शख्स के नाम पर रजिस्टर्ड है और उसके उत्तर प्रदेश में ही विचरण करने की अनुमति है। महावत हथिनी को लेकर मध्यप्रदेश होते हुए डूंगरपुर तक पहुंच गए। यही वजह है के इनके खिलाफ केस दर्ज किया गया।


इस हथिनी की देखरेख के लिए जयपुर से एक महावत विनोद नाथ को हायर किया गया है। उसने बताया कि गर्मी और पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण हथिनी के स्वास्थ्य में गिरावट आई है। हथिनी को घूमाने की भी जगह नहीं है। सिर्फ नर्सरी में ही घूम पाती है। पथरीली जमीन होने से उसके पीठ में घाव हो गए हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि हाथी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए 15 किमी चलना और रूटीन चेकअप अनिवार्य है। सीमलवाड़ा के रेंजर हरीशचंद्र बायड़ी का कहना है कि नवंबर से लेकर अब तक हथिनी के खाने पीने पर दो लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। बजट मिल नहीं रहा है। जैसे-तैसे संभला रहे हैं। इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर को बुलाया है।