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150 साल पुराना है मां चंडी का ये अनोखा मंदिर, रोज आरती में शामिल होते हैं जंगली भालू, जानें क्या है मान्यता?

महासमुंद। छत्तीसगढ़ में देवी मां का एक मंदिर है जिसकी चर्चा राज्य में ही नहीं बल्कि देशभर में होती है। ये महासमुंद के जंगल के बीच स्थित चंडी माता मंदिर का है। इस मंदिर में देवी मां की आरती के समय जंगली भालू आ जाते हैं। ये भालू पूजा के बाद प्रसाद खाते हैं फिर जंगल में लौट जाते हैं। इसे श्रद्धालु देवी मां का चमत्कार मानते हैं, लेकिन इसकी असल सच्चाई क्या है ये आज आपको बताते हैं।

दरअसल, चंडी माता मंदिर राजधानी रायपुर से 100 किलोमीटर की दूरी पर महासमुंद जिले में है। ये मंदिर जंगल के किनारे घूंचापाली गांव में स्थित है। यहां देवी माता के दर्शन करने हजारों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन यहां पहली बार आने वाले श्रद्धालु हैरान रह गए जब जंगली जानवर भालू का परिवार मंदिर परिसर में पहुंचा। श्रद्धालु उसे आम जूस पिलाते हुए दिखते हैं। वहीं यह दृश्य मंदिर में श्रद्धालुओं और जानवरों के बीच मित्रता की मिशाल पेश कर रहा है।

मंदिर में आते हैं भालु

वहीं मंदिर समिति की तरफ से भी इन भालुओं के आने जाने के लिए पूरी व्यवस्था मंदिर परिसर में किया गया है। जंगल से आने वाले रास्ते के ठीक सामने एक जालीदार बेरीकेट लगाया गया है। इससे श्रद्धालुओं को भी भालू से किसी भी प्रकार के खतरें को कम करने की कोशिश की गई है। मंदिर के पुजारियों ने बताया है कि मंदिर में 5 भालू आते थे, लेकिन एक भालू की मौत होने के बाद अब 4 भालू ही आते हैं। वो महीने में कुछ ही दिन भालू मंदिर आते हैं।

मंदिर में पहले साधु संत करते थे तंत्र साधना

गौरतलब है कि चंडी माता मंदिर 150 साल पुराना है। मंदिर को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि ये यहां चंडी माता की प्रतिमा प्राकृतिक है। माता का ये मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए जाना जाता था। यहां कई साधु संतों का डेरा लगा रहता था। इसे तंत्र साधना के लिए गुप्त रखा गया था, लेकिन 1950 के आस पास इस मंदिर को आम नागरिकों के लिए खोला गया है। इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी 23 फीट ऊंची दक्षिण मुखी प्रतिमा है।