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डॉक्टरों को सलाम : दिल की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी महिला, चिकित्सकों ने 6 मिनट में सर्जरी कर बचाई जिंदगी

लखनऊ. एक 28 साल की महिला बहुत दिनों से दिल की बीमारी से जूझ रही थी. परेशान होकर महिला इलाज कराने केजीएमयू पहुंची. कार्डियोवास्कुलर और थोरेसिक सर्जरी विभाग के डाॅक्टरों ने महज 6 मिनट में इस दिल की गंभीर बीमारी को सर्जरी कर ठीक कर दी.

एओर्टिक स्यूडोएन्यूरिज्म के एक मरीज की बहुत ही चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक कर मरीज को नया जीवन देने में डॉक्टरों की टीम को बड़ी कामयाबी मिली. अयोध्या की एक 28 वर्षीय महिला मरीज, जिसका डेढ़ साल पहले डबल वाल्व रिप्लेसमेंट ऑपरेशन किया गया था, उसको महाधमनी स्यूडोएन्यूरिज्म होने का पता चला. महाधमनी का स्यूडोएन्यूरिज्म एक दुर्लभ रूप से सामने आने वाली रक्त से भरी सूजन है, जो हृदय से पूरे शरीर तक रक्त ले जाती है, महाधमनी से संचार करती है. दोबारा सर्जरी करने में शामिल उच्च जोखिम के कारण शुरुआत में रोगी को एंडोवास्कुलर की पेशकश की गई थी.

केजीएमयू के कार्डियोलॉजी विभाग ने महाधमनी में एंडोवास्कुलर डिवाइस का उपयोग करके स्यूडोएन्यूरिज्म थैली के छेद को सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया, मगर प्रक्रिया के 3-4 सप्ताह बाद एक रिसाव के कारण थैली धीरे-धीरे आकार में बढ़  गई. स्यूडोएन्यूरिज्म के फूटने और मृत्यु का जोखिम था, इसलिए एकमात्र विकल्प ओपन सर्जरी ही बचा था. इस सर्जरी को करने में मुख्य चुनौती यह थी कि स्यूडोएन्यूरिज्म थैली छाती पर ही छाती की हड्डी के ठीक पीछे स्थित थी और हृदय और महाधमनी को घेरे हुई थी, इसलिए थैली के पार हृदय और महाधमनी में प्रवेश करना मुश्किल था.

इस सर्जरी में स्यूडोएन्यूरिज्म के फूटने और रक्तस्राव का खतरा अधिक था. इसलिए परिधीय बाईपास का उपयोग करके प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, जहां रोगी को हृदय-फेफड़े की मशीन से जोड़ने के लिए पैर की वाहिकाओं में नलिकाएं लगाई जाती है. हृदय को रोकने और सर्जरी को सुरक्षित रूप से सक्षम करने के लिए डाक्टरों ने गहरे हाइपोथर्मिक सर्कुलेटरी अरेस्ट का उपयोग किया, जहां पहले रोगी के शरीर का तापमान धीरे-धीरे और सावधानी से आधे घंटे में 18 डिग्री सेल्सियस तक कम किया गया और फिर हृदय और मस्तिष्क सहित पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण रोक दिया गया.

मरम्मत सटीकता के साथ की गई और केवल 6 मिनट के संक्षिप्त समय में स्यूडोएन्यूरिज्म थैली को खोला गया, एंडोवास्कुलर डिवाइस को बाहर निकाला गया और महाधमनी में छेद की मरम्मत की गई. सर्जरी प्रोफेसर एस. के. सिंह के नेतृत्व वाली सर्जिकल टीम द्वारा की गई, जिसमें डॉ. विवेक टेवर्सन, डॉ. सर्वेश कुमार, डॉ. भूपेन्द्र कुमार और डॉ. मोहम्मद जीशान हकीम शामिल थे. मरम्मत के बाद पूरे शरीर को एक घंटे में धीरे-धीरे गहरे हाइपोथर्मिक परिसंचरण अवरोध से सामान्य शरीर के तापमान तक गर्म किया गया, जिसमें मनोज श्रीवास्तव, तुषार मिश्रा, देबदास प्रमाणिक और साक्षी जयसवाल सहित पर्फ्युज़निस्ट टीम की महत्वपूर्ण भूमिका थी.

कार्डियक एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. करण कौशिक के साथ डॉ. दुर्गा कन्नोजिया ने किया, जिन्होंने प्रक्रिया के दौरान रोगी को कार्डियक एनेस्थीसिया और मस्तिष्क की निगरानी प्रदान की. सर्जरी के बाद मरीज वेंटिलेटर पर सीटीवीएस आईसीयू में रखा गया. आईसीयू में वह ठीक हो गईं और अगले दिन उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया. नर्सिंग प्रभारी विभा सिंह और मनीषा ने अपनी टीम के साथ ऑपरेशन थिएटर में मरीज की देखभाल की. आईसीयू देखभाल नर्सिंग प्रभारी आईसीयू अलका और उनकी समर्पित कार्डियक आईसीयू नर्सों की टीम ने संभाली.