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जानिए महामृत्युंजय मंत्र जाप के दौरान बरतें ये सावधानियां


सावन का पवित्र महीना चल रहा है। सावन माह भगवान शिव की पूजा-आराधना के लिए विशेष महीना माना जाता है। इसमें भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से विशेष महत्व होता है। सावन के महीने में शिवजी की उपासना करते हुए शिव मंत्रों का लगातार जाप करने बहुत ही शुभ फलदायक होता है। सावन में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व होता है। महामृत्युंजय के जाप से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और कष्टों का निवारण जल्द से जल्द करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंभीर बीमारियों से छुटकारा प्राप्त करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र काफी कारगर होता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र के जाप करने से मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है महामृत्युंजय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु के बने अशुभ योग भी टाला जा सकता है। इसके अलावा अलग-अलग उद्देश्यों और कुंडली के दोष को दूर करने के लिए भी इस मंत्र का जाप किया जाता है। शास्त्रों में महामृत्युंजय मंत्र के जाप करते समय कुछ सावधानियां बताई गईं हैं जिसका पालन जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र जाप के दौरान बरतें ये सावधानियां - शास्त्रों में महामृत्युंजय मंत्र बहुत ही महत्वपूर्ण मंत्र माना गया है। इसलिए इस मंत्र का जाप करते समय उच्चारण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शुद्ध शब्दों के साथ मंत्र का उच्चारण करने से इसका लाभ जल्द मिलता है। - महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा निश्चित संख्या को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए। अलग-अलग सिद्धियों की प्राप्ति के लिए संख्या का ध्यान रखना चाहिए। जैसे किसी गंभीर बीमारी या अकाल मृत्यु के दोष से बचने के लिए इस मंत्र का जाप करते हैं तो इसके लिए कम से कम सवा लाख बार मंत्रों का जाप किया जाना जरूर होता है।


- महामृत्युंजय मंत्र के जाप के दौरान विशेष रूप से रुद्राक्ष की माला का ही प्रयोगा किया जाना चाहिए। रुदाक्ष की माला बहुत ही पवित्र मानी गई है। - मंत्रों के लगातार जाप के दौरान पूजा स्थल पर धूप और दीये जलते रहना चाहिए। - महामृत्युंजय मंत्र के दौरान धीमे स्वर के साथ इसका उच्चारण करना ज्यादा फलदायी रहता है। - महामृत्युंजय मंत्र के जाप करते समय शिवजी और माता पार्वती की प्रतिमा जरूर होनी चाहिए। - महामृत्युंजय मंत्र के जाप के दौरान लगातार शिवलिंग पर जल,दूध,दही और शहद से अभिषेक करते रहना चाहिए। - इस सिद्ध मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा में बैठकर ही करना चाहिए। - महामृत्युंजय मंत्र के जाप का संकल्प लेने पर कभी भी मांसाहार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। - महामृत्युंजय मंत्र के जाप के दौरान मन को स्थिर रखना चाहिए। मंत्रों का जाप करते समय ध्यान इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥