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सिंधिया के नमन पर लक्ष्मीबाई के वंशज का दर्द:हमें तो झांसी किले पर भी टिकट खरीदना पड़ता है, गुमनाम ही रहना पड़ रहा है

ग्वालियर में केंद्रीय राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर नमन के बाद उनके वंशज का दर्द झलका है। दैनिक भास्कर ने लक्ष्मीबाई के वंशज योगेश राव का इंटरव्यू लिया है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर योगेश राव का कहना है कि रानी के वंशज होकर भी हम गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। हमें तो झांसी के किले पर भी टिकट खरीदना पड़ता है। योगेश ने कहा कि ज्योतिरादित्य के समाधि पर जाने से गुरेज नहीं है। हम राजनीति से दूर हैं। इसके बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं रखते। सिंधिया के मन में भावना आई होगी, इस कारण वे समाधि पर गए। ये उनका व्यक्तिगत निर्णय है।


योगेश राव महाराष्ट्र के नागपुर में किराए के घर में रहते हैं। वे लक्ष्मीबाई की छठवीं पीढ़ी से हैं। योगेश कहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भी धरोहर के तौर पर संजोकर रखा जाता है, लेकिन रंज है कि रानी के वंशज होकर भी गुमनाम ही रहना पड़ रहा है। निजी क्षेत्र के लोग सम्मान के लिए आगे आते हैं, लेकिन सरकार की ओर से प्रयास नहीं होता कि ऐतिहासिक परिवार को प्रकाश में लाए।


दिल छू लेने वाली सादगी


भास्कर को रानी के वंशज व छठी पीढ़ी के प्रतिनिधि योगेश राव से मिलने वर्धा मार्ग की नई बसाहट वाली बस्ती में पहुंचे। योगेश राव ने विनायक अपार्टमेंट में आने को कहा था। हमने बस्ती में वैभव अपार्टमेंट के पास पहुंचकर विनायक अपार्टमेंट के बारे में पूछा। यहां राजनीतिक कार्यकर्ता और हमारे परिचित वैभव बोडखे मिले। वे योगेश राव का नाम नहीं जानते थे, लेकिन विनायक अपार्टमेंट की ओर उंगली दिखाते हुए बोले- घर पर चाय बनवा रहा हूं। लौटते समय अवश्य आइए। विनायक अपार्टमेंट के दूसरे माले की छत पर योगेश राव हमारा इंतजार कर रहे थे। हम उनकी ओर बढ़ने लगे। योगेश राव हमें लेने के लिए सीढ़ियां उतर रहे थे। बीच में मुलाकात के बाद हम फ्लैट में पहुंचे। फ्लैट 2 बीएचके और सजधज से काफी दूर। छोटे से हॉल में योगेश राव के पिता अरुण राव झांसीवाले कुर्सी पर बैठे मिले। इस परिवार की जो सादगी देखी वह सारी कल्पनाओं से अलग निकली। सादगी हर किसी के दिल को छू लेने वाली है।