शादी की वर्षगांठ पर पत्नी से बोले सुब्बा राव सावरकर - मेरा होना, तुम्हारे होने से ही है
रायपुर। धनगर समाज के अध्यक्ष सुब्बा राव सावरकर की आज शादी की 23 वी वर्षगांठ है। इस मौके पर उन्होंने धर्मपत्नी के लिए कविता बोले है.
पढ़े कविता।
मेरी तो आत्मा भी तुम, और परमात्मा भी तुम
मेरे लिए धर्मात्मा भी तुम, मेरी आत्मा भी तुम !!
दुनिया का खजाना तेरे सामने, मेरे लिये है अनजान
तू है सब कुछ तो , जमाना है सारा मेरे लिए बेजान !!
वो लम्हे, वो वादे निभाए , तुम ने इस जीवन की राह में
तुम से बड़ा दुनिया में कोई भी दोस्त नहीं है इस जहान में
हर दुःख दर्द में साथ निभाया है, छोड़ अपने घर का प्यार
तुम ही हो मेरी मुस्कान, तुझ पर कुर्बान मेरा सब प्यार !!
तुम्हारा अंदाज मेरे परिवार को बहुत भा गया,
हर्षल का भी प्यार आकर उस में चार चाँद लगा गया
काँटों पर भी चली तुम मेरे साथ, गमो को भी छुपा गयी
कैसे न मानू तुम्हारा यह एहसान ,वो सब तुम समझा गयी !!
वो रोजाना का तनहा सफ़र, अब तुम्हारे संग गुजर रहा
तुम्हारा प्यार से यह कहना ,पूछना, दिल को छु गया
जिन्दगी कितने पल की है, न मैं जानता, और न तुम जानती
बस इन पलों को समेट लो, मेरे इस छोटे से जहान में !!