मुंबई: देश की आर्थिक स्थिति पर लोगों का विश्वास लगातार तीसरे महीने घट रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा उपभोक्ता संवेदी सूचकांक (CCI) के अनुसार, मार्च 2023 में 98.5% लोगों ने मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों पर भरोसा जताया था. यह संख्या मई 2023 में घटकर 97.1% और जुलाई 2023 में 93.9% रह गई. कोविड के दौर में, मई 2021 में यह आंकड़ा 48.5% था, और उसके बाद तीन वर्षों तक लोगों का विश्वास बढ़ा था, लेकिन अब फिर से इसमें कमी आ रही है.
आरबीआई हर दो महीने में यह सर्वे कराता है. इस बार भोपाल, रायपुर, अहमदाबाद जैसे 19 राज्यों के प्रमुख शहरों में लगभग 6,000 लोगों के बीच यह सर्वे किया गया. सर्वे के अनुसार, लोगों की आय बढ़ने के बजाय घट रही है. सितंबर 2023 के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिला है. जनवरी 2024 में 68.6% लोग ऐसा मानते थे, जो अब बढ़कर 75.8% हो गए हैं. लोगों का कहना है कि प्रतिकूल हालात के कारण खर्च बढ़ रहा है और नौकरियों के अवसर घट रहे हैं. जरूरी वस्तुओं की कीमतें पहले से ज्यादा हो चुकी हैं.
60% लोगों ने कहा – महंगाई और बढ़ेगी
आरबीआई के घरेलू महंगाई सर्वे (IESH) के अनुसार, घरेलू उपयोग की वस्तुओं की कीमतें घटने की उम्मीद कम है. लोगों का मानना है कि अगले एक साल तक इन वस्तुओं की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहेंगी. जनवरी 2024 में महंगाई दर 8.1% रहने का अनुमान था, जो अब बढ़कर 10.1% हो चुका है. सर्वे में शामिल 6091 लोगों में से 60.5% को चिंता है कि सभी जरूरी वस्तुओं की कीमतें मौजूदा स्तर से और भी बढ़ेंगी. जनवरी में ऐसा मानने वालों की संख्या 54.4% थी. लोगों को यह भी चिंता है कि घरों की कीमतें बढ़ती रहेंगी और यह प्रवृत्ति अगले दो साल तक जारी रह सकती है.
सर्वे कैसे होता है
सर्वेक्षण में वर्तमान स्थिति और भविष्य में विभिन्न कारकों पर उपभोक्ताओं की भावनाओं से संबंधित प्रश्न होते हैं. इसमें शामिल कुछ सूचकांक हैं:
व्यय सूचकांक: उपभोक्ताओं से प्रमुख उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं, वाहन खरीदने, या अचल संपत्ति पर खर्च करने की इच्छा के बारे में पूछा जाता है. यह अगली तिमाही के लिए आवश्यकताओं और विलासिता पर समग्र व्यय परिदृश्य को मापता है.
रोजगार सूचकांक: उपभोक्ताओं से रोजगार की स्थिति, बेरोजगारी, और नौकरी की सुरक्षा पर उनके वर्तमान और भविष्य के विचार पूछे जाते हैं, जो देश में रोजगार की भावनाओं को दर्शाते हैं.
मुद्रास्फीति सूचकांक: उपभोक्ताओं से ब्याज दरों और वस्तुओं के मूल्य स्तर के बारे में पूछा जाता है, और उपभोक्ताओं द्वारा अपेक्षित मूल्य और बुनियादी आवश्यकताओं पर उनके खर्च पर नज़र रखी जाती है.