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प्रदेश में जन्म के 28 दिनों के भीतर 18000 बच्चों की मौत, यूनिसेफ की रिपोर्ट...

रायपुर. छत्तीसगढ़ में आदिवासी बच्चों की मौत को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच यूनिसेफ की एक रिपोर्ट आई है। यूनिसेफ ने छत्तीसगढ़ में नवजात शिशुओं को सही देखभाल न होने के कारण जन्म के 28 दिनों के भीतर 18000 बच्चों की मौत हर साल होने का दावा किया है। यूनिसेफ ने इस रिपोर्ट को नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 के आधार पर तैयार किया है। कवर्धा में हुई स्टेट लेवल मीडिया वर्कशॉप में रिपोर्ट यूनिसेफ के छत्तीसगढ़ प्रमुख जॉब जकारिया ने इस रिपोर्ट को पेश किया।


 यूनिसेफ की इस रिपोर्ट पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने से पहले 42% कुपोषण था. हमारी सरकार आने के बाद बच्चों की सेहत ठीक हो इसके लिए सरकार काम कर रही है. सभी जिलों में डीएमएफ राशि के साथ अन्य राशि से बच्चों का विकास हो उसके लिए भी हमारी सरकार काम कर रही है. 100 आकांक्षी जिलों में भारी कुपोषण की दर में कमी आई है. 16-17% कुपोषण की दर में कमी आई है.


जॉब ने रिपोर्ट में दावा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ 32% माताएं ही बच्चों को जन्म के 1 घंटे बाद स्तनपान करा पाती हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में अक्सर बच्चों को जन्म के फौरन बाद मां से अलग निगरानी में रखा जाता है, इसलिए सही समय पर स्तनपान नहीं हो पाता। जबकि जन्म के एक घंटे के भीतर होने वाला स्तनपान बच्चों के सही पोषण और विकास के लिए बेहद जरूरी है। यूनिसेफ इसको लेकर लगातार जागरुकता कार्यक्रम चला रहा है।


यूनिसेफ की रिपोर्ट के साथ ही एनएफएचएस-5 रिपोर्ट के आंकड़े भी हैरान करने वाले हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में 13 प्रतिशत बच्चे जन्म के समय ढ़ाई किलो से भी कम वजन के होते हैं। साथ ही 26000 बच्चों की मौत एक साल के अंदर ही हो जाती है। एनएफएचएस के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में सिर्फ 10% बच्चों को ही पर्याप्त भोजन मिल रहा है, प्रदेश में 5 साल से कम उम्र की का 30% बच्चों का वजन कम है और 35% बच्चे बौने हैं, प्रदेश में 10 लाख बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन कम है।