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परमाणु ठिकानों की जानकारी के लिए चीन ने पहले भी भेजे थे जासूसी गुब्बारे, अमेरिका ने मांगा भारत का साथ

मेरिका के हवाई क्षेत्र में देखे गए चीन के जासूसी गुब्बारे को लेकर पेंटागन ने बड़ा दावा किया है। पेंटागन ने कहा है कि इससे पहले चीनी जासूसी गुब्बारों के चार बार अमेरिकी क्षेत्र के ऊपर उड़ने की घटनाएं हुई हैं। हालांकि, पहले इन गब्बारों की पहचान नहीं की गई थी, लेकिन बाद में खुफिया जानकारी के तहत पता चला कि वे सभी चीनी गुब्बारे थे।

पैट राइडर ने कहा कि चीन द्वारा जासूसी गुब्बारे का कार्यक्रम कई सालों से संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, अमेरिका यह जानता है कि चीन इन गुब्बारों को अमेरिका के रणनीतिक स्थलों का सर्वेक्षण करने के लिए भेज रहा था। हालांकि, उन्होंने उस ठिकाने के बारे में नहीं बताया, जहां से चीन इन जासूसी गुब्बारों को लॉन्च कर रहा है।

परमाणु ठिकानों की जानकारी करने के लिए भेजे गुब्बारेरी करने के लिए भेजे गुब्बारे
पेंटागन ने दावा किया हे कि चीन ने हाल ही में जमीन आधारित परमाणु लांचर की संख्या बढ़ाई है। इन खबरों के बीच इस दावे से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन ने अमेरिका के महत्वपूर्ण परमाणु हथियार स्थलों की निगरानी के इरादे से जासूसी गुब्बारों को लॉन्च किया था।

पांच महाद्वीपों की संप्रभुता का किया उल्लंघन
दूसरी तरह अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आरोप लगाया है कि चीन ने न केवल अमेरिका बल्कि पांच महाद्वीपों के देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा, अमेरिका के पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि वह एक चीनी जासूसी गुब्बारा ही था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने भारत और जापान सहित कई देशों को निशाना बनाते हुए जासूसी गुब्बारों का एक बेड़ा संचालित किया है।

अमेरिका ने मांगा भारत का साथ
इस बीच पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका न सिर्फ भारत का सुरक्षा साझेदार बनना चाहता है बल्कि उसकी असाधारण विकास गाथा में उसका प्रमुख साझेदार भी बनना चाहता है। पेंटागन के प्रेस सचिव ने कहा, हम भारत के साथ अपने रक्षा सहयोग पर अधिक जानकारी साझा करने के लिए तत्पर हैं क्योंकि नई पहल आगे बढ़ रही हैं। ये पहल रक्षा बिक्री से रक्षा संयुक्त उत्पादन और विकास में तेजी लाएगी और अमेरिका और भारतीय रक्षा फर्मों के बीच एकीकरण को बढ़ावा देगी।