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‘कमजोर’ उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में नहीं उतारा जाएगा: सीएम भूपेश बघेल

रायपुर:  छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव से पहले सीएम भूपेश बघेल ने विधायकों के टिकट कटने को लेकर बड़ा हिंट दिया है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी साफ किया है कि मुख्यमंत्री का चेहरा पार्टी हाईकमान तय करेगा। उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव से मतभेद के सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि टी एस सिंहदेव के साथ उनके रिश्ते सामान्य हैं और आगे भी रहेंगे। सीएम ने कहा कि विधानसभा चुनाव में टिकट जीत की संभावना (विनबिलिटी) के आधार पर दिए जाएंगे।

साथ ही कहा कि यह भी संभव है कि कुछ ‘कमजोर’ उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में नहीं उतारा जाए। उन्होंने कहा कि जिन उम्मीदवारों को फिर से चुनाव मैदान में नहीं उतारा जाएगा उन्हें कुछ दूसरी जिम्मेदारी सौंपी जाए। यह पूछे जाने पर क्या कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भीतर नेतृत्व का मुद्दा सुलझ गया है तो मुख्यमंत्री ने कहा, नेतृत्व कौन करेगा, मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह हमेशा पार्टी आलाकमान तय करता है। पार्टी आलकमान का जो भी आदेश होगा वो मान्य होगा।

वह जो तय करेगा, उसे हम सब मानेंगे। गुटबाजी हर पार्टी में होती है सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि गुटबाजी तो सब जगह होती है। हर दल में होता है। हम खुलकर बोलते हैं, लेकिन बीजेपी में कोई बोल नहीं पाता है, सब घुट-घुटकर रहते हैं। कांग्रेस नेता ने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि संभव है कि पार्टी के 71 विधायकों में कुछ ‘कमजोर’ उम्मीदवारों को दूसरी जिम्मेदारी सौंपी जाए। उनका कहना था, पार्टी लगातार सर्वे करती है। पार्टी के पदाधिकारियों से रायशुमारी की जाती है। हो सकता कि कुछ सीटों पर हमारे उम्मीदवार कमजोर हों तो उन्हें दूसरी जिम्मेदारी दी सकती है।

75 सीटों पर जीत का फोकस

सीएम भूपेश बघेल ने कहा, हमारे पास 71 सीटें पहले से हैं, इससे ज्यादा का लक्ष्य है। किसानों, नौजवानों गरीबों, दलितों और आदिवासियों के लिए जो काम किया है उससे हमारे कार्यकर्ताओं में बहुत उत्साह है। इसी आधार पर हम 75 पार की बात कर रहे हैं। बीजेपी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा 2018 में हारी तो उस हार से उबर नहीं पाई है। ये थके-हारे लोग हैं।

भूपेश ने मोदी को लिखे दो खत: पूर्व बीजेपी सरकार पर उठाए सवाल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो खत लिखे हैं। पहले पत्र में उन्होंने पिछली भाजपा सरकार की ओर से राज्य को ओडीएफ घोषित किए जाने के बावजूद 15 लाख परिवारों को उन्नत शौचालय से वंचित होने पर सवाल उठाए हैं। गहरी चिंता जताई है। मामले में जांच कराने की मांग की है। सीएम ने ऐसे परिवारों को इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पीएम से मांग की है। साथ ही उन्नत शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि 12 हजार रुपए प्रति परिवार से बढ़ाकर 30 हजार रुपए करने की बात कही है। उन्होंने अतिवाद प्रभावित और दुर्गम क्षेत्रों में ऐसे शौचालयों का निर्माण ग्राम पंचायतों के माध्यम से स्वीकृत करने का भी अनुरोध किया है।

उन्नत शौचालय न होना चिंता और जांच का विषय : मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्वावधान में कराए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 6 (2019-21 ) में यह पाया गया है कि छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों में 88.2 प्रतिशत परिवार एवं ग्रामीण क्षेत्रों के 73.5 प्रतिशत परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इस तरह राज्य के कुल परिवारों में से 76.8 प्रतिशत परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का उपयोग कर रहे हैं और 23.2 प्रतिशत परिवार इस सुविधा से वंचित हैं। विगत महीने राज्य सरकार की ओर से कराये गये सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के दौरान शौचालयों के भौतिक सत्यापन से राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के जारी आंकड़ों की पुष्टि होती है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में राज्य में 32 लाख से अधिक शौचालय निर्मित किये हुये थे। जनवरी 2018 में संपूर्ण राज्य को ओडीएफ घोषित किया गया था। शौचालयों के निर्माण में लगभग 4 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि का व्यय हुआ था। इतनी राशि व्यय करने के बाद भी राज्य के लगभग 15 लाख परिवारों को वर्तमान में उन्नत शौचालय की सुविधा न होना चिंता एवं जांच का विषय है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हुए लिखा है कि भारत सरकार के प्रशासकीय विभाग ने स्वतंत्र तृतीय पक्ष के माध्यम से वस्तुस्थिति की जांच करायी जाए।

सीएम बघेल ने दूसरे खत में लिखा कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भारत सरकार की ओर से लंबित देनदारियों की ओर ध्यान आकर्षित कराया है। इस पत्र में वर्तमान स्थिति में भारत सरकार/भारतीय खाद्य निगम के स्तर पर राज्य की एजेन्सियों की लम्बित देनदारियां लगभग 6 हजार करोड़ रूपये हैं। केंद्रीय पूल में राज्य सरकार की ओर से जमा चावल के बाद बचे शेष धान के निराकरण में भी राज्य सरकार को बड़ी हानि उठानी पड़ती है, जिसकी भरपाई भारत सरकार नहीं करती है। इससे राज्य सरकार को अतिरिक्त आर्थिक भार उठाना पड़ता है।

‘ पीएम से निर्देश जारी करने का अनुरोध मुख्यमंत्री ने पीएम से अनुरोध करते लिखा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुये संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें । जिससे वो राज्य की एजेन्सियों की लम्बे समय से लम्बित समस्त देनदारियों की समय-सीमा निर्धारित कर निराकरण करें तथा राज्य के विधिक क्लेम की राशि शीघ्र राज्य सरकार को अन्तरित करने के लिए जरूरी कार्यवाही करें।