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छत्तीसगढ़ में यहां हैं स्किन बैंक, आग से झुलसे मरीजों को मिलती है नई त्वचा

SKIN BANK : किसी हादसे में बिगड़ी सूरत को संवारने दान में मिलने वाली त्वचा सुरक्षित रखने अस्पताल के स्किन बैंक (skin bank) में व्यवस्था होती है. भारत में हर साल लगभग 70 लाख लोग आग और अन्य कारणों से झुलस जाते हैं. इनमें से डेढ़ लाख लोगों की जान चली जाती है. जिसका कारण संक्रमण होता है. त्वचा झुलसने के एक से तीन सप्ताह के बीच संक्रमण की आशंका रहती है. ऐसे में मरीज को त्वचा लगाने की जरूरत होती है.


स्किन बैंक की सहायता से इन मामलों में मरने वाले लोगों की संख्या में 50 प्रतिशत तक कि कमी आ सकती है. 80 प्रतिशत से ज्यादा जले मरीज में खुद की स्किन कम होने के कारण स्किन बैंक से प्राप्त स्किन लगाने से उनकी जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी. वर्तमान में देश में 16 स्किन बैंक हैं, जहां किसी व्यक्ति की त्वचा मृत्यु के छह घंटे के भीतर दान (skin donation) की जा सकती है.

क्या होता है इस स्किन बैंक

स्किन बैंक एक ऐसा बैंक है, जहां मृत व्यक्ति की त्वचा को संरक्षित किया जाता है और उसका उपयोग दूसरे जले हुए लोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है. इस बैंक में व्यक्ति की मृत्यु के 6 घंटे के भीतर त्वचा का दान किया जा सकता है. राजधानी रायपुर के दाऊ कल्याण सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में त्वचा बैंक बनाया गया है. छत्‍तीसगढ़ का पहला स्किन बैंक अगस्त 2022 में भिलाई इस्पात संयंत्र के सेक्टर-9 अस्पताल के एडवांस बर्न केयर डिपार्टमेंट में सेल का पहला स्किन बैंक शुरू हुआ.

1 व्यक्ति की स्किन से 2 मरीजों का इलाज

वैसे तो किसी भी मृत व्यक्ति की त्वचा का दान हो सकता है, लेकिन 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 80 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों की त्वचा नहीं ली जाएगी. मृत व्यक्तियों का मौत के छह घंटे के अंदर ही त्वचा दान की जा सकेगी. लेकिन एचआईवी, हेपेटाईटिस बी, सी, स्किन कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से संक्रमितों की त्वचा दान में नहीं ली जाएगी.एक व्यक्ति के त्वचा दान से बर्न के दो मरीजों की जिंदगी बच सकेगी. मृतक की दोनों जांघ से त्वचा दान में ली जाती है, जिसकी प्रोसेसिंग के बाद उसे 4 से 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है. जिसे किसी को भी लगाया जा सकेगा, इसके लिए डोनर और रिसीवर के ब्लड ग्रुप या ह्यूमन ल्यूकोसाईट एंटीजन के मिलान की जरूरत नहीं है.