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अदालत ने युवक को रेप के आरोपों से किया बरी, कहां सहमति से बने शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं..........

अदालत ने चार्ज के स्टेज पर ही युवक को रेप के आरोपों से बरी कर दिया। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने अपने फैसले में कहा कि आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंधों को रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। 20 साल की युवती परिवार के साथ न्यू उस्मानपुर में रहती है। युवती के पिता अंडों की रेहड़ी लगाते है तो मां फैक्ट्री में जॉब करती है।


आरोपी युवक मकसूद भी उसी मकान में दूसरी मंजिल पर रहता है। कोर्ट में बताया गया कि 10 अक्टूबर 2020 को युवती छत पर सोई हुई थी। रात के समय वह टॉयलेट जाने के लिए उठी तो मकसूद उसे पकड़कर अपने कमरे में ले गया। जहां उसने युवती के साथ रेप किया। युवक ने युवती को भरोसा दिलाया कि कोरोना खत्म होने के बाद वह उससे शादी कर लेगा। इसके बाद खुशी से एक साथ रहेंगे। काफी समय तक ऐसे ही चलता रहा। 

कुछ समय बाद जब कोरोना के मामले कम हुए और धीरे-धीरे एक जगह से दूसरी जगह आना-जाना भी शुरू हो गया, युवती खजूरी खास इलाके में रहने वाली अपनी बहन के पास चली गई, जबकि मकसूद बिहार स्थित अपने गांव चला गया। इस दौरान दोनों एक दूसरे से लगातार मोबाइल पर बातें करते थे। युवती ने मकसूद को फोन करके बताया कि वह दो महीने की गर्भवती हो गई है। कुछ समय बाद वह बिहार से वापस दिल्ली लौट आया। मकसूद ने युवती से शादी करने से साफ मना कर दिया। इसके बाद युवती ने खुद ही गोलियां खाकर अपना गर्भपात कर लिया। युवती ने परिवारवालों को पूरी घटना के बारे में बताया। युवती के परिवार वाले युवती को न्यू उस्मानपुर थाने लेकर गए। पुलिस ने युवती के बयान पर रेप की धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी को अरेस्ट कर लिया।


पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने रेप का आरोप तय करने के लिए मामले की सुनवाई शुरू की। सरकारी वकील ने अदालत में अपनी तरफ से तमाम दलीलें पेश की। वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने भी अपना पक्ष रखा। बचाव पक्ष का कहना था कि दोनों एक-दूसरे से पिछले दो साल से प्यार करते हैं। इस दौरान उनके बीच जब भी संबंध बने, आपसी सहमति से ही बने। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने युवक को रेप के आरोपों से यह कहते हुए बरी कर दिया कि आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आते।