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किसानों के लिए मौका : 2023 में अपनी बंजर पड़ी जमीन पर इसे उगाएं, सरकार देगी अच्छी रकम…

रायपुर. संयुक्त राष्ट्र परिषद ने वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023 घोषित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विभिन्न अवसरों पर मोटे अनाज के प्रयोग करने का आह्वान कर रहे हैं. देश में मिलेट के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में किसानों के लिए सालों से बंजर पड़े खेतों को सोना उगलने वाला बनाकर एक मुनाफा कमाने का मौका है.

ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, कोदो, चीना, सांवा और कुटकी मिलेट के छोटा और मोटा अनाज बंजर जमीन, पहाड़ी, तटीय, वर्षा, सूखा आदि इलाकों में बेहद कम संसाधनों में ही उग जाते हैं. इस बार किसान इन फसलों को लगाकर सरकार और बाजार का पूरा-पूरा समर्थन पा सकते हैं.

पोषक तत्वों से होते हैं भरपूर
सेवन करने से शरीर को वो सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जो साधारण खान-पान से मुमकिन नहीं है. यही वजह है कि अब बेहतर स्वास्थ्य के लिए चिकित्सक भी डाइट में 15 से 20 प्रतिशत मिलेट को शामिल करने की सलाह दे रहे हैं.

भारत मिलेट्स उत्पादन में दूसरे नंबर पर
अफ्रीका में सबसे अधिक 489 लाख हेक्टेयर जमीन पर मोटे अनाज की खेती होती है. उत्पादन लगभग 423 लाख टन होता है. केंद्र सरकार के मुताबिक भारत मोटे अनाज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (138 लाख हेक्टेयर खेत में) है. ऐसे में किसानों को ये जानना चाहिए कि मोटे अनाज की खेती यानी मिलेट फार्मिंग में किस तरह के विकल्प हैं, जिन्हें अपनाकर आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है.

7000 साल पुराने भोजन से दूर हो गए हम
यह भी एक विडंबना ही है कि सबसे बड़े मिलेट उत्पादक भारत में पिछले कुछ दशकों में बाजरे की खपत काफी कम हुई है. आर्थिक विकास और शहरीकरण के साथ, भोजन की आदतें बदल रही है. भारत में सीरियल या गेहूं, रिफाइन्ड चीनी और तेल पर आधारित चीजों को खाने की डिमांड बढ़ रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खेती-किसानी की औपचारिक शुरुआत से पहले हमारे पूर्वज बाजरे पर ही निर्भर रहते थे. 7000 साल से भी पहले इंसानों ने बाजरा का सेवन किया था, इसके प्रमाण खोजे गए हैं. उत्तरी चीन में मिट्टी के कटोरे में अच्छी तरह संरक्षित अवस्था में नूडल्स भी पाए गए हैं. इस आधार पर लोगों का मानना है कि हजारों वर्ष पहले समुदायों द्वारा की जाने वाली अन्य फसलों की खेती से पहले बाजरे का सेवन किया जाता रहा है.

भारत को मिला है 72 देशों का समर्थन
मिलेट को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ने सितंबर 2021 में फसलों की 35 किस्में देश को समर्पित की थी. इनमें बाजरा और जवार भी शामिल थे. 35 फसलों की लॉन्चिंग के समय पीएम मोदी ने कहा था, बदलते मौसम में सरकार का ध्यान पौष्टिक बीजों पर है. भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को 2023 में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स घोषित करने का प्रस्ताव दिया था. भारत के प्रस्ताव को 72 देशों से समर्थन मिलने के बाद मार्च, 2021 में यूएनजीए ने 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित कर दिया.