Breaking News :

2013 में हुए एडेसमेत्ता गांव मे नक्सली एनकांउटर का रिपोेर्ट आया सामने, जांच कमेटी ने किया ये खुलासा , जानने के लिए देखे पूरी खबर

छत्तीसगढ़  में साल 2013 में हुए नक्सल एनकांउटर का का रिपोर्ट आ गया है जिसमें ऐसा खुलासा हुआ कि आप हैरान हो जाएगे । बीते सोमवार को सीएम भूपेश बघेल एनकांउटर की जांच करने के लिए बने जस्टिस वीके अग्रवाल कमीशन की रिपोर्ट विधानसभा मे पेशे किया है । इसमें एडेसमेत्ता गांव में सुरक्षा बलों ने स्थानीय त्योहार मना रहे आदिवासियों पर घबराहट में गोली चलाई थी। 


जस्टिस वीके अग्रवाल कमीशन की यह रिपोर्ट सोमवार को पहली बार आम हुई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक कमीशन के रेकमेंडेशंस के मुताबिक दिसंबर में एक पांच सदस्यीय जांच दल बनाने का आदेश हुआ है। यह दल पीड़ित परिवारों को राहत पहुंचने के लिए सुझाव देगा। इससे पहले गृह विभाग कैबिनेट के सामने एक रिपोर्ट पेश कर चुका है, जिसमें बताया गया था कि मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

यह घटना साल 2013 में 17-18 मई की दरमियानी रात हुई थी। बीजापुर मुख्यालय से करीब 30 किमी और रायपुर से 440 किमी दक्षिण एडेसमेत्ता गांव में कुछ स्थानीय लोग आदिवासी उत्सव बीज पांडुम मना रहे थे। इसी दौरान वहां करीब 1000 की संख्या में पहुंचे सुरक्षा बलों ने इन लोगों पर फायरिंग कर दी। सुरक्षा बलों ने दावा किया था कि उन्होंने एक माओवादी ठिकाने पर हमला बोलकर आठ माओवादियों का एनकाउंटर किया है। जांच आयोग का कहना है कि सुरक्षा बलों ने घबराहट में गोलीबारी की थी। इसके मुताबिक बेहतर इंटेलीजेंस इनपुट होने पर ऐसा नहीं होता और इन लोगों की जान बचाई जा सकती थी। 


कमीशन ने यह भी कहा है कि घटना में मारे गए कोबरा कांस्टेबल देव प्रकाश अपने ही साथियों की गोली से मारे गए। उनके ऊपर माओवादियों ने गोली नहीं चलाई थी। पुलिस ने  मौके से जिन बंदूकों को सीज करने का दावा किया है उसका इस्तेमाल उनके ऊपर फायरिंग करने के लिए नहीं हुआ था। वहीं जांच आयोग ने जब्त किए गए हथियारों पर भी संदेह जताया है, क्योंकि इन्हें फॉरेंसिक लैब नहीं भेजा गया था। कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा जवानों से कहा गया था कि उन्हें आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए। हालांकि सुनवाई के दौरान मौजूद अफसरों का कहना है कि उन्हें याद नहीं है कि किस तरह के इंस्ट्रक्शन दिए गए थे।