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पैसा कमाना आसान, बचाना कठिन और सबसे जरूरी है सुरक्षित निवेश

रायगढ़ : जिले के सुदूर आदिवासी अंचल ग्राम जोबी स्थित शहीद वीर नारायण सिंह शासकीय महाविद्यालय में लगी अब तक की कॉलेज की सबसे बड़ी और अहम पाठशाला। जिसमें भारत सरकार नई दिल्ली की डीएसटी, आईबीआईटीएफ और आईआईटी भिलाई के सौजन्य से पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर व जोबी महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ’वित्तीय साक्षरता’ के विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हुई। 


आरंभ सरस्वती वंदन से हुआ, इसी क्रम में प्राचार्य रविन्द्र कुमार थवाईत और प्रशिक्षु विद्यार्थियों ने अतिथियों एवं प्रशिक्षकों का स्वागत किया। प्राचार्य थवाईत ने विद्यार्थियों से कहा कि आज देश में रोजगार के बहुतेरे रास्ते खुलते जा रहे हैं, जिससे पहले की तुलना में अपेक्षाकृत अब पैसे कमाना आसान हुआ है, लेकिन, जागरूकता के अभाव में पैसे बचाना आज भी उतना ही कठिन है। 


वहीं, अगर उसका सही निवेश नहीं किया जो बढ़ती महंगाई की दर के सामने आप मेहनत करने के बावजूद आर्थिक रूप से मजबूत नहीं बन पाएंगे। इस ओर, उन्होंने विद्यार्थियों से इन कार्यशालाओं को गंभीरता से लेने की अपील की। 


मुख्य अतिथि छेदूराम राठिया, बीडीसी और विश्ष्ठि अतिथि रामधार गबेल एवं भूपेन्द्र वर्मा व प्रीतम राठिया ने बारी-बारी विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाया उन्होंने जोबी जैसे अदिवासी अंचल में आयोजित इस कार्यशाला को सीखने का सुअवसर बताया और कहा कि आज जो सीखा है वो 10 को और सिखाओ। यह ज्ञान आपके जीवन भर काम आएगा।


तत्पश्चात् फिनटैक के डायरेक्टर सुनील कुमार कुमेटी ने कमान सम्हाली और उपने उद्बोधन में कहा कि ‘‘पैसा खुदा तो नही, लेकिन खुदा से कम भी नहीं‘‘ ये पैसा बोलता, और हमें इसी पैसे का ठीक उसी तरह प्रबंधन करना है, जिस तरह हरेक मां जो कि सबसे गुणी प्रबंधक होती है। वह धीमे-धीमे छोटी-छोटी बचत कर पैसे छिपाती है। ताकि आड़े वक्त पर वही जमा धन काम आए। 


उन्होंने भारत वर्ष में वित्तीय साक्षरता को लेकर आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बतलाया कि आज भी वित्तीय प्रबंधन को लेकर देश में प्रति सैकड़ा केवल 27 प्रतिशत लोग ही जागरूक हैं और उनमें भी लगभग 25 फीसदी आंकड़ा शहरी क्षेत्रों में निवासरत लोगों का है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्ति पैसे तो कमाता है लेकिन उसे सही तरीके से खर्च नहीं कर पाता। 


इसलिए ’वित्तीय साक्षरता’ जैसे अभियान को भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिले में जहां पर जनजातीय समुदाय निवासरत हैं, कार्यशालाएं आयोजित कर जागरूक किया जा रहा है। ताकि जनजातीय क्षेत्र में वित्तीय प्रबंधन को लेकर लोगों में सजगता का भावना जागृत हो सके। 


उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रबंधन के घटक बचत, आय, व्यय, ऋण, निवेश और स्वास्थ्य व जीवन बीमा आदि के प्रति प्रतिभागियों को तीन दिवसीय कार्यशाला में इस क्षेत्र के माहिर प्रशिक्षकों द्वारा कब और किस दिन क्या सिखाया जाएगा इसकी जानकारी उपलब्ध कराई।


उल्लेखनीयहै कि पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से आए प्रशिक्षक दल से सोशल वर्कर व मास्टर ट्रेनर दीपक साहू, साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि हर व्यक्ति पैसे के लिए काम करता है, जितनी मेहनत से पैसा कमाया जाता है, उससे ज्यादा जरूरी है कि उस पैसे का सही प्रबंधन बचाव, और सुरक्षा करने की। 


उन्होंने रोटी यानी अनिवार्य आवश्यकता और आइसक्रीम यानी मांग और महंगी और सस्ती घड़ी की दोनों की समान उपयोगिता के उदाहरण देकर मेहनत के पैसों को सही जगह में खर्च करने और बचाने के तरीके भी बताए। 


बढ़ते क्रम में सुमित कुमार पटेल एवं रिसोर्स पर्सन व ट्रेनर विकास साहू,ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और फिनटेक (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी) आदि विषयों पर क्रमशः पुराने पारंम्परिक तरीके से मनीऑडर के जरिए 8 से 10 दिनों मे होने वाले रकम के आदान प्रदान से लेकर आज की एप व यूपीआई जैसी अत्याधुनिक प्रणाली के माध्यम महज 10 सेकन्ड में हो जाने वाले ट्रांजिक्शन बदलाव के बारे में विस्तार से जनकारी दी। 


ऐसे में, बेहद सोचनीय विषय है कि हमारा भारत देश वित्तीय संकट की दौर से इस लिए भी गुजर रहा है, क्योंकी वित्तीय प्रबंधन को लेकर सजग नहीं होने से आज वर्तमान समय में अच्छे-अच्छे पढ़े लिखे लोग भी अपने मेहनत से जीवन भर में कमाए हुए धन को आये दिन ऑनलाइन फ्रॉड में फंस कर एक लिंक को टच करके मिनटों में गंवा दे रहे हैं, जो की बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे बचने की जरूरत है। इसलिए, पैसों को सही पॉकेट मतलब बैंक में रखना और अधिकृत क्षेत्रों में ही निवेश करना महत्वपूर्ण है।