आबकारी विभाग ने 400 लीटर महुआ शराब के साथ 2600 किलो महुआ लाहान किया जब्त
गणतंत्र दिवस पर इस बार छत्तीसगढ़ राज्य की महत्वकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना झांकी में दिखेगी..
देश की आजादी के करीब ढाई साल बाद साल 1950 में 26 जनवरी को उसका संविधान मिला था। बता दें कि सन् 1948 के आरंभ में ही डॉ. बी.आर. अंबेदकर ने संविधान सभा में पहली बार संविधान की रूपरेखा प्रस्तुत की थी। हालांकि, इनमें कुछ संशोधनों के बाद नवंबर 1949 में इसे एक्सेप्ट कर लिया गया और 26 जनवरी, 1950 को संविधान पारित हुआ। तब से हर साल इस दिन भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष देश अपना 73वां रिपब्लिक डे मनाने जा रहा हैदेश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की तैयारी की जा रही है. राजपथ पर देशभर के अलग- अलग राज्यों की झांकी परेड में शामिल होंगी. इस वर्ष छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना पर बन रही झांकी का भी चयन हुआ है. इसके लिए छत्तीसगढ़ की टीम तैयारी कर रही है. दरअसल इस बार राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस के परेड समारोह के देशभर के 12 राज्यों की झांकी शामिल की है. इसमें छत्तीसगढ़ की झांकी का भी चयन हुआ है. राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना पर आधारित झांकी जिसमे गांव और गोठान अब देश के सबसे बड़े और मुख्य समारोह की शान बनेंगे. हाल ही में रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति ने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना पर बनी झांकी को अपनी हरी झंडी दे दी है.
झांकी के अग्रभाग में गाय के गोबर को इकट्ठा करके उन्हें विक्रय के लिए गौठानों के संग्रहण केंद्रों की ओर ले जाती ग्रामीण महिलाओं को दर्शाया जाएगा.ये महिलाएं पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में होंगी, जो हाथों से बने कपड़े और गहने पहने हुए होंगी.इन्हीं में से एक महिला को गोबर से उत्पाद तैयार कर विक्रय के लिए बाजार ले जाते दिखाया जाएगा.महिलाओं के चारों ओर फूलों के गमलों की सजावट की जाएगी, जो गोठानों में साग-सब्जियों और फूलों की खेती के प्रतीक होंगे.नीचे की ओर गोबर से बने दीयों की सजावट की जाएगी.ये दीये ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आए स्वावलंबन और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करेंगे.
मध्य भाग में दिखाया जाएगा कि गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर किस तरह पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार और आय में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जा रहा है.सबसे आखिर में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.झांकी में प्रदेश में विकसित हो रही जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और खुशहाल किसान को भित्ती-चित्र शैली में दिखाया जाएगा.इसी क्रम में गोबर से बनी वस्तुओं और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करती स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को भी झांकी में प्रदर्शित किया जाएगा. झांकी के पीछे भाग में गौठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते दिखाया जाएगा.इसमें दिखाया जाएगा कि नयी तकनीकों और मशीनों का उपयोग करके महिलाएं किस तरह स्वयं की उद्यमिता का विकास कर रही हैं, गांवों में छोटे-छोटे उद्योग संचालित कर रही हैं.