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सोशल मीडिया का गलत उपयोग करने से कौन सी धारा के तहत मामला दर्ज होता है और कितने साल की सजा होती है जानने के लिए देखे पूरी खबर...

देश में सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाह फैलाना, जिससे किसी भी धर्म या जाति की भावनाओं को ठेस पहुंचे या दंगा भड़के, साइबर अपराध माना जाता है. ऐसे में दोषी को आईटी एक्ट 2008 के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.

कानून के जानकार ये भी बताते हैं कि अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ आईपीसी के तहत केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार  किया जा सकता है. अगर कोई शख्स दो समूह, धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, रिहायश या भाषा के नाम पर नफरत फैलाता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-153ए के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. 

सजा के साथ लग सकता है जुर्माना

अगर कोई व्‍यक्ति बोलकर, लिखकर या इशारे से या फिर किसी दूसरे तरीके से सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है. ऐसे लोगों के खिलाफ आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. गैरजमानती अपराध होने के कारण पुलिस द्वारा आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करने की छूट होती है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है. साथ ही कोर्ट दोषी पर जुर्माना भी लगा सकता है.


अपराध को रोकने के लिए बनाया गया एक्ट

अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा-505 के तहत भी केस दर्ज किया जा सकता है. अगर कोई शख्स दो समूहों या वर्गों के बीच नफरत फैलाने के लिए कोई रिपोर्ट या स्टेटमेंट जारी करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-505 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. इस मामले में भी दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की सजा का प्रावधान है. सोशल मीडिया की मदद से होने वाले अपराध को रोकने के लिए साल 2000 में इनफॉर्मेशन एक्ट बनाया गया था. इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट-2000  की धारा-67 के तहत अगर आप सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक, भड़काऊ या अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत पैदा करने वाला पोस्ट, वीडियो या तस्वीर शेयर करते हैं, तो आपको जेल जाना पड़ सकता है. साथ ही जुर्माना देना पड़ सकता है.

आईटी एक्ट-2000 की धारा 67 के तहत अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है. साथ ही 5 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. अगर यही अपराध दोहराया तो दोषी को 5 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. किसी भी धर्म के भगवान की तस्वीरें गलत तरीके से वायरल करना या उनके बारे में कोई झूठ फैलाना भी साइबर क्राइम माना जाएगा. झूठी जानकारी वाले ईमेल या मैसेज भी आपको जेल पहुंचा सकते हैं. कानून के तहत सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले पोस्ट डालने और दंगा भड़कने के बाद किसी व्यक्ति की मौत होती है, तो दोषी को पूरा जीवन जेल में काटना होगा. सोशल मीडिया के जरिये अफवाह फैलाने पर तोड़फोड़ होती है और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होता है तो नुकसान की वसूली अफवाह फैलाने वाले से की जाएगी.

आपको बता दें कि कंप्‍यूटर, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, वर्ल्ड वाइड वेब, मोबाइल या अन्य किसी इलेक्‍ट्रॉनिक माध्यम की मदद से अपराध करना दंडनीय है. साइबर क्राइम के मामले में कार्रवाई करने के लिए आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 बनाया गया है. साइबर क्राइम के मामले में मामूली सजा से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है.