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जानिए कब है पौष पुत्रदा एकादशी


हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी तिथि आती है. जिसमें से पौष पुत्रदा एकादशी बेहद खास माना जा रहा है और ये एकादशी नए साल की पहली एकादशी है. ऐसी मान्यता है, कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके सारे काम बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं. पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत खासकर संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. जिससे उन्हें जीवन में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़ें. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में पौष पुत्रदा एकादशी से जुड़ी सारी जानकारियां देने वाले हैं, ताकि आपको इस एकादशी का व्रत रखने में किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े.


जानिए कब है पौष पुत्रदा एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी दिनांक 1 जनवरी 2023 को शाम 07:12 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 2 जनवरी 2023 को शाम 08:24 मिनट पर समाप्त होगा. क्या है पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि एकादशी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद पूजा की चौकी सजाएं और पूजा की चौकी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. भगवान विष्णु को फल,फूल, नारियल, पान, सुपारी से पूजा करें. भगवान विष्णु को धूप-दीप से पूजा करें और एकादशी का व्रत रखें उसके बाद उनकी आरती करें. अगले दिन सुबह स्नान करने के बादज ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें और उन्हें भोजन कराएं.


पौष पुत्रदा एकादशी का क्या है महत्व पुत्रदा एकादशी सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को संतान की लंबी आयु के लिए ये व्रत रखा जाता है. इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है और घर की सुख-शांति बनी रहती है. भगवान विष्णु की करें आरती ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी स्वामी शरण गहूं मैं किसकी तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॐ जय जगदीश हरे तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी स्वामी तुम अंतर्यामी पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॐ जय जगदीश हरे तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता स्वामी तुम पालन कर्ता मैं मूरख खल कामी , कृपा करो भर्ता ॐ जय जगदीश हरे तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॐ जय जगदीश हरे दीनबंधु दुखहर्ता,ठाकुर तुम मेरे, स्वामी ठाकुर तुम मेरे अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा मैं तेरे ॐ जय जगदीश हरे विषय विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा, स्वामी पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा ॐ जय जगदीश हरे श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे ॐ जय जगदीश हरे इति श्री विष्णु आरती "ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे"