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इस राज्य से हुई थी करवा चौथ मनाने की शुरुआत, जानें महत्व
सनातन और सिक्ख धर्म के अनुयायी करवा चौथ व्रत बहुत भक्ति-भाव से रखते हैं. करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. यह व्रत बहुत कठिन होता है क्योंकि इसे निर्जला रखा जाता है. यानी कि इस व्रत में कुछ भी खाने-पीने की सख्त मनाही होती है. करवा चौथ व्रत दीपावली से पहले पड़ता है. इसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखते हैं और इसी के 11 दिन बाद कार्तिक माह की अमावस्या को दीवाली मनाई जाती है.
इस साल 13 अक्टूबर 2022 को करवा चौथ और 25 अक्टूबर 2022 को दीवाली है. करवा चौथ व्रत के लिए होती है खास तैयारी करवा चौथ व्रत के लिए महिलाएं खास तैयारी करती हैं. हाथों में मेहंदी लगाती हैं. पारंपरिक सुंदर कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं. यह व्रत तड़के सुबह सास द्वारा दी गई सरगी खाकर शुरू किया जाता है और रात में चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद व्रत खोलते हैं. इस राज्य से हुई थी करवा चौथ मनाने की शुरुआत वैसे तो करवा चौथ का व्रत देश के कई राज्यों में रखा जाता है और आजकल तो लड़कियों-महिलाओं के साथ-साथ उनके पार्टनर भी यह व्रत रख लेते हैं. पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड फिल्मों में करवा चौथ व्रत को प्रमुखता से दिखाया गया है, जिसके बाद इस व्रत की लोकप्रियता और भी बढ़ गई है. हिंदू धर्म के अनुसार ब्रह्मा जी ने देवताओं की पत्नियों से यह व्रत करने के लिए कहा था ताकि युद्ध में सभी देवताओं को विजय मिले.
तभी से यह व्रत रखा जा रहा है. वहीं भारत के राज्यों में इस व्रत की शुरुआत को लेकर बात करें तो पहले यह व्रत उत्तर-पश्चिमी राज्यों में ही रखा जाता था. यह व्रत उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा में प्रमुखता से रखते थे. फिर मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद देश के ज्यादातर राज्यों में यह व्रत रखा जाने लगा है. राजाओं के शासन में जब मुगलों ने आक्रमण किया था तब युद्ध में शामिल सैनिकों की पत्नियों ने अपने-अपने पति की सुरक्षा और कल्याण के लिए निर्जला व्रत रखकर उनकी सुरक्षा की प्रार्थना की थी. तभी से यह व्रत रखने का चलन बड़े पैमाने पर शुरू हुआ.